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28 Nov 2023 · 1 min read

******आधे – अधूरे ख्वाब*****

******आधे – अधूरे ख्वाब*****
**************************

रात चोरी से हम से बिताने लगे,
बात हम से दिल की छिपाने लगे।

अब यकीन उन पर टूटने है लगा,
हर कहानी झूठी वो बनाने लगे।

रात दिन खोये हम रियायत नहीं,
ख्वाब आधे अधूरे से सताने लगे।

पीर पर्वत सी होती सहन नहीं,
घाव पीड़ा से तन मन जलाने लगे।

नींद आँखों मे अक्सर आती नहीं,
याद प्यारी सी दास्तां दिलाने लगे।

यार मनसीरत हाल ए दिल बुरा,
तीर हिय पर सीधे से निशाने लगे।
*************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)

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