Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
25 Nov 2023 · 1 min read

*"तुलसी मैया"*

“तुलसी मैया”
घर आँगन हरे पत्ते मंजरी सोहे,
सालिगराम महारानी।
राम श्याम तुलसी नाम तुम्हारे,
कृष्ण जी प्यारी पटरानी।
कार्तिक मास पूजन कर महिमा गावे ,
निशदिन सुबह जल चढ़ाते ,सांझ सबेरे दीप जलाये।
हरिप्रिया विष्णुप्रिया कहलाती,पावन पवित्र शुद्ध हवा प्राण वायु भर जाये।
रोग शोक संताप दूर कर ,विध्न बाधा मिटाये।
चातुर्मास से जागे श्री हरि विष्णु जी ,देवउठनी मंगल कार्य सम्पन्न कराये।
गन्ने के मंडप के सजाकर , तुलसी पूजन ,
सालिगराम संग ब्याह रचाये।
घर आँगन चौक पग चरण बना ,मनभावन रंगोली द्वार सजाये।
आम्र तोरण द्वार बांध कर ,आँगन में दीप ज्योति जगमग जलाये।
तांबे का कलश स्थापना ,वरुण देव विराजमान कराये।
रोली चंदन कुमकुम अक्षत ,भक्तिभाव से अर्पण कर तुलसी को चुनर ओढाये।
रंगबिरंगी पुष्पों की माला पहना ,तुलसी मंजरी शालिग्राम में चढाये।
ब्याह रचाकर शालिग्राम संग ,तुलसी मैया की परिक्रमा लगाये।
जगमग ज्योति जलाकर ,आरती वंदन तेरे गुण गाये।
भक्ति वरदान दीजो मैया ,धूप दीप नैवेध लगाये।
छप्पन भोग छत्तीसो व्यंजन ,बिन तुलसी हरि मन न भाये।
कौन सी तपस्या तुलसी मैया न कीनो ,
हरिप्रिया विष्णुप्रिया आपके मन को अति भाये।
घर आँगन तुम बिन सुना ,रोग शोक औषधि गुण हमें जिलाये।
श्री ह्रीं क्लीं एं वृंदा वनये स्वाहा
शशिकला व्यास✍️

Loading...