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18 Nov 2023 · 1 min read

गजल

भावनाओं को छुपाना आ गया,
बे-जुबानों का ज़माना आ गया।

शाम से ठण्डी हवा चलने लगी,
सर्द मौसम भी सुहाना आ गया।

नाविकों!तूफ़ां मचलकर थम गया,
सामने देखो… मुहाना आ गया ।

चूमकर हमने खुशी से लब छुये,
आपको पलकें झुकाना आ गया।

जीत की पहली ख़बर वो दे गया,
और उनको मुस्कुराना आ गया।

आप भी करने लगे चमचागिरी !
आपको भी मार खाना आ गया।

बात वो करते नहीं दिल से सहज,
फ़ासले उनको बनाना आ गया।

(जगदीश शर्मा सहज)

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 252 Views
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