sp,,94बात कोई भी नहीं भूलता
धागे प्रेम के बहन मन भावों से लाई......
A Letter to My Future Child
तेरी याद.....!
Kunwar kunwar sarvendra vikram singh
*राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट,*
होली के रंग
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
महकती नहीं आजकल गुलाबों की कालिया
तारे हैं आसमां में हजारों हजार दोस्त।
*सर्दी का आनंद लें, कहें वाह जी वाह (कुंडलिया)*
मयकदों के निज़ाम बिकते हैं ।
Dilemmas can sometimes be as perfect as perfectly you dwell