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13 Nov 2023 · 1 min read

कहा हों मोहन, तुम दिखते नहीं हों !

कहा हों मोहन, तुम दिखते नहीं हों
वो मुरली कि धुन अब , सुनाते नहीं हों

राधा बनूँ मैं या मीरा बनूँ मैं
या बनके तोहरी जोगन, यूं ही फिरता रहूँ मैं

तोहरे बिन मोरा मनवा, लागे नहीं हैं
देख तोहे तस्वीरों में, रूदन करता रहूँ मैं

आकर कभी तो, नयन – नीर पोंछो
लगाके ह्रदय से व्यथा, मोरी नोंचो

पत्थर कि मूरत या पत्थर ही हों तुम
सुनते नहीं हों, जो मोरी अर्जियां

कहा हों मोहन, तुम दिखते नहीं हों
वो मुरली कि धुन, सुनाते नहीं हों !

The_dk_poetry

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