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11 Nov 2023 · 1 min read

हाथों से कुछ कुछ रिसक रहा है.

बाहर पानी बरस रहा है खिड़की पर कोई तरस रहा है
तन्हा तन्हा रातों में हाथों से कुछ कुछ रिसक रहा है..।

बातों पर जो अपनी कायम था वह कल तक……..।
धीरे-धीरे वह अपनी बात से खिसक रहा है………।

प्रिय वर के आने की अभिलाषा में …………………..।
पायल भी खन खन खनक रहा है……………………।

प्रिय तम से मिलने की ऐसी अजब है अभिलाषा..।
कैसी अजब यह रीति मोती माला से छिटक रहा है…….।

✍️कवि दीपक सरल

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