Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Nov 2023 · 1 min read

किसने यहाँ

बेमतलब सी बातों में बस वक़्त गँवाया ।
किसने यहाँ सांसों का कोई क़र्ज़ चुकाया ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
Tag: शेर
6 Likes · 461 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all

You may also like these posts

पूनम का चांद हो
पूनम का चांद हो
Kumar lalit
मित्र
मित्र
Dhirendra Singh
4074.💐 *पूर्णिका* 💐
4074.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
दिलकश
दिलकश
Vandna Thakur
" वक्त "
Dr. Kishan tandon kranti
हवा तो आज़ भी नहीं मिल रही है
हवा तो आज़ भी नहीं मिल रही है
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
अधिकतर ये जो शिकायत करने  व दुःख सुनाने वाला मन होता है यह श
अधिकतर ये जो शिकायत करने व दुःख सुनाने वाला मन होता है यह श
Pankaj Kushwaha
मैं जानता हूॅ॑ उनको और उनके इरादों को
मैं जानता हूॅ॑ उनको और उनके इरादों को
VINOD CHAUHAN
दोहा _
दोहा _
Neelofar Khan
संवेदना
संवेदना
ललकार भारद्वाज
खर्राटे
खर्राटे
Mandar Gangal
कुंडलियां
कुंडलियां
Rambali Mishra
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक - अरुण अतृप्त
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक - अरुण अतृप्त
DR ARUN KUMAR SHASTRI
यही है वो संवेदना है
यही है वो संवेदना है
Sandeep Barmaiya
#सकारात्मक_सोच😊 #सकारात्मक_सुबह😊😊 #सकारात्मक_सोमवार 😊😊😊
#सकारात्मक_सोच😊 #सकारात्मक_सुबह😊😊 #सकारात्मक_सोमवार 😊😊😊
*प्रणय प्रभात*
आया सखी बसंत...!
आया सखी बसंत...!
Neelam Sharma
तोहमत लगाए जाते हैं
तोहमत लगाए जाते हैं
Shweta Soni
चक्की
चक्की
Kanchan verma
*बहती हुई नदी का पानी, क्षण-भर कब रुक पाया है (हिंदी गजल)*
*बहती हुई नदी का पानी, क्षण-भर कब रुक पाया है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
वक़्त  ने  ले लिया जिसे हमसे
वक़्त ने ले लिया जिसे हमसे
Dr fauzia Naseem shad
ड़ माने कुछ नहीं
ड़ माने कुछ नहीं
Satish Srijan
जो छलके शराब अपने पैमाने से तो समझना नशा हो गया है
जो छलके शराब अपने पैमाने से तो समझना नशा हो गया है
Rj Anand Prajapati
मेरा भारत देश
मेरा भारत देश
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
बात जब नैतिकता पर आई!
बात जब नैतिकता पर आई!
Jaikrishan Uniyal
हम राज़ अपने हर किसी को  खोलते नहीं
हम राज़ अपने हर किसी को खोलते नहीं
Dr Archana Gupta
हमे कोई नहीं समझ पाया है
हमे कोई नहीं समझ पाया है
Jyoti Roshni
टुकड़े हुए दिल की तिज़ारत में मुनाफे का सौदा,
टुकड़े हुए दिल की तिज़ारत में मुनाफे का सौदा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मेरी स्मृति...
मेरी स्मृति...
NAVNEET SINGH
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी।
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...