Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Nov 2023 · 1 min read

ले चलो तुम हमको भी, सनम अपने साथ में

ले चलो तुम हमको भी, सनम अपने साथ में।
बांटेंगे दुःख और खुशी, अपनी हम साथ में।।
ले चलो तुम हमको भी————————।।

वादा किया है हमने, सँग- सँग जीने का।
जिंदगी की हर डगर, चलेंगे हम साथ में।।
तुम ले चलो हमको भी——————-।।

खबर कैसे मिलेगी, तुम कहाँ हो कैसे हो।
बितायेंगे हरपल हम, जिंदगी के साथ में।।
ले चलो तुम हमको भी———————।।

साथी बिन होता नहीं, सफर कभी भी हसीन।
बसायेंगे कभी संसार, अपना हम भी साथ में।।
ले चलो तुम हमको भी——————– ।।

लगायेंगे चमन हम भी, जलायेंगे दीप हम भी।
मुकम्मल ख्वाब करेंगे,अपने हम भी साथ में।।
ले चलो तुम हमको भी——————– ।।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

249 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

जिंदगी का एकाकीपन
जिंदगी का एकाकीपन
मनोज कर्ण
चाहे जिसको नोचते,
चाहे जिसको नोचते,
sushil sarna
मैं  गुल  बना  गुलशन  बना  गुलफाम   बना
मैं गुल बना गुलशन बना गुलफाम बना
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
आधी कहानी मैंने लिखी
आधी कहानी मैंने लिखी
gurudeenverma198
खामोशी : काश इसे भी पढ़ लेता....!
खामोशी : काश इसे भी पढ़ लेता....!
VEDANTA PATEL
"प्लेटो ने कहा था"
Dr. Kishan tandon kranti
नरेंद्रकृत
नरेंद्रकृत "तरु चालीसा"
n singh
दरख़्त-ए-जिगर में इक आशियाना रक्खा है,
दरख़्त-ए-जिगर में इक आशियाना रक्खा है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
राम - सा पुरुष चाहो तो
राम - सा पुरुष चाहो तो
Meera Thakur
ऑपरेशन सिंदूर...मातम बना मातृभूमि का श्रृंगार
ऑपरेशन सिंदूर...मातम बना मातृभूमि का श्रृंगार
अरशद रसूल बदायूंनी
एक धर्म इंसानियत
एक धर्म इंसानियत
लक्ष्मी सिंह
वक्त की मुट्ठी में कैद मुकद्दर क्या है ?
वक्त की मुट्ठी में कैद मुकद्दर क्या है ?
ओसमणी साहू 'ओश'
मुझे अकेले ही चलने दो ,यह है मेरा सफर
मुझे अकेले ही चलने दो ,यह है मेरा सफर
दीपक बवेजा सरल
भूल हो गयी हो अगर आप से
भूल हो गयी हो अगर आप से
Shinde Poonam
दरख़्त
दरख़्त
Dr.Archannaa Mishraa
कितने दोगले लोग है, लड़की देनी है जमीन वाले घर में लेकिन लड़
कितने दोगले लोग है, लड़की देनी है जमीन वाले घर में लेकिन लड़
पूर्वार्थ देव
*जब तक सही विचारों का, मृदु शुभागमन जारी है (मुक्तक)*
*जब तक सही विचारों का, मृदु शुभागमन जारी है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
😢२३ /०३/२०२५  .....
😢२३ /०३/२०२५ .....
Neelofar Khan
किसी को मारकर ठोकर ,उठे भी तो नहीं उठना।
किसी को मारकर ठोकर ,उठे भी तो नहीं उठना।
मधुसूदन गौतम
कहिया ले सुनी सरकार
कहिया ले सुनी सरकार
आकाश महेशपुरी
बस तुम्हारा ही नशा है,
बस तुम्हारा ही नशा है,
Diwakar Mahto
4691.*पूर्णिका*
4691.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"स्व"मुक्ति
Shyam Sundar Subramanian
जरूरत से ज्यादा
जरूरत से ज्यादा
Ragini Kumari
मेंने बांधे हैं ख्बाव,
मेंने बांधे हैं ख्बाव,
Sunil Maheshwari
कोई शहर बाकी है
कोई शहर बाकी है
शिवम राव मणि
😊आज का मत😊
😊आज का मत😊
*प्रणय प्रभात*
"विरह गीत"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
उमस भरी रात
उमस भरी रात
Dr. Man Mohan Krishna
छंद मुक्त कविता : बचपन
छंद मुक्त कविता : बचपन
Sushila joshi
Loading...