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4 Nov 2023 · 1 min read

कोई चाहे कितने भी,

कोई चाहे कितने भी,
दांव पेंच खेल ले।
आखिरी में हुकुम का इक्का,
कुदरत ही फेंकता है।।
“प्रकृति जोहार”

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