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6 Oct 2023 · 1 min read

प्रेम की डोर सदैव नैतिकता की डोर से बंधती है और नैतिकता सत्क

प्रेम की डोर सदैव नैतिकता की डोर से बंधती है और नैतिकता सत्कर्म से जन्मता है। फिर कहीं रहे प्रेम कम नहीं होगा, और वियोग में तो और बढ़ेगा।
जै श्री सीताराम

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