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3 Oct 2023 · 2 min read

अपराध बोध (लघुकथा)

“हैलो राजन! इधर सुनो!” कहते हुए चंदो ने दोस्तों से बात कर रहे राजन को इशारा किया। राजन थोड़ा ठिठका और चंदो के पीछे-पीछे चल दिया वह राजन को कॉलेज के उस एकांत कमरे में ले गयी जहाँ पहले से चंदो की अन्य पांच सहेलियां बैठी थीं। राजन वहाँ पहुँच अवाक सा खड़ा हो गया, क्योंकि ये वही सारी लड़कियां थी, जो राजन के अन्य छः मित्रों सहित इंटरमीडिएट दोनों वर्षों इंग्लिश की कोचिंग में साथ पढ़ी थीं।
“राजन तुम अनु की जानते हो” चंदो ने पूछा।
“हां.. हां.. हाँ क्या हुआ उसको” राजन ने आश्चर्य से पूछा।
“तुम्हारे और तुम्हारे कमीने दोस्तों की बजह से आज उसकी पढ़ाई छूट गयी और आत्मग्लानि से एकबार आत्महत्या करने का प्रयास भी किया है। तुम तो संस्कारी परिवार से हो तुम्हारी बहन हमारी सीनियर रहीं है। तुम ऐसे लोगों का साथ छोड़ क्यों नहीं देते।” चंदो ने राजन से कहा।
राजन ने अनभिज्ञता जताते हुए कहा “मैं और मेरे दोस्तों की बजह से….???”
तब चंदो ने बताया कि “कुछ दिन पूर्व हमारे गांव में शिवलिंग उत्तपन्न हुए थे तब तुम अपने दोस्तों के साथ उसे देखने आए थे और मेरी गली से गुजरे मैने छत से तुम्हें देख लिया था परन्तु तुम्हारे कमीन मित्रों की बजह से मैने घर नही बुलाया। थोड़ी आगे ही अनु का घर है जब तुम वहां से निकल रहे थे। तभी संयोग से अनु घर के बाहर एक भट्टी जल रही थी जिसमें अनु उपले डालने आयी थी जिस पर एक बड़े भगौने में आलू उबल रहे थे। क्योंकि उसके पिताजी का समौसे का व्यवसाय है। उसको भट्टी में उपले डालते देख तुम्हारे मित्र डैनी ने एक भद्दी टिप्पणी की थी।” कि “साली.. वहाँ तो तुम हीरोइन बनकर आती हो यहाँ तुम्हारा बाप समौसे बेचता है” इतना सुनते ही वह हीन भाव से घर के अंदर दौड़ गयी थी।
इसी से घटना से क्षुब्ध हो उसने आत्महत्या का प्रयास तक किया। तुम लोगों को किसने हक दिया है कि किसी के पिता या उसके व्यवसाय पर टिप्पणी करने का। और रही बात हीरोइन की, तो भगवान ने उसे रूप दिया है वह हम सब में सबसे सुंदर है। सस्ते कपड़े भी उसपर बहुत अच्छे लगते हैं।
आज अपनी कोचिंग सहपाठियों के सामने राजन नजर नही उठा पा रहा था। वह अपराध बोध से चंदो को निर्जीव सा खड़ा देख रहा था। वह अनु की पढ़ाई छूटने और उसके हर कदम के लिए स्वयं को जिम्मेदार मान रहा था क्योंकि अपराध के खिलाफ आवाज नहीं उठाना भी एक अपराध है क्या राजन इस अपराध के लिए स्वयं को कभी माफ कर पाएगा?
@पूर्णतः स्वरचित
-दुष्यंत “बाबा”
पुलिस लाईन, मुरादाबाद।
मो0-9758000057

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