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29 Sep 2023 · 1 min read

मेरा हृदय खुली पुस्तक है

मेरा हृदय खुली पुस्तक है
पर इसमें कुछ लिखा नहीं है
लिखा वही खोजता कि जिसने
स्वाद प्रेम का चखा नहीं है

जिसने जाना स्वाद प्रेम का
वह न कभी पुस्तक पढ़ता है
वह जीता है प्रेम अहर्निश
वह ढाई आखर गढ़ता है
कहीं किसी पुस्तक में उसको
ढाई आखर दिखा नहीं है

स्वाद प्रेम का पा सकता है
कोई दीवाना बनकर ही
है पहचान यही वह हॅंसकर
फूॅंक दिया करता है घर ही
शीश उतार समर्पित करता
टिकती शिर पर शिखा नहीं है

प्रेम पनपते देखा तब ही
नयन नयन से जब मिल जाते
नयन चार होते ही दो दिल
मिलनातुर होकर खिल जाते
स्वाद प्रेम का वह क्या जाने
बिना मोल जो बिका नहीं है

महेश चन्द्र त्रिपाठी

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 309 Views
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