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28 Sep 2023 · 1 min read

दूरियां

तू पास है किसी और के
तु मुझसे दूर है
कुछ खामोशी है
कुछ खामोश है

तुझे समझाऊं कैसे
समझना तुझे है
बातों का यह रिश्ता नहीं
रिश्ता यह गहरा है

हंसते हैं चेहरे रोज
आंखें भी कुछ कहती है
फर्क बस इतना है
शायद तुझे दिखते चेहरे हैं

बातों की भी क्या बात है
कहते हर चेहरे है
बस सुनना है जिससे
खामोश वह चेहरे है

डर भी क्या चीज है
डरlता हर रोज है
दूरियों के एहसास को
बढ़ाता हर रोज है

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