साख से टूटे पत्तों की किस्मत भी,
ग़ज़ल __ कुछ लोग झूठ बोल के , मशहूर हो गए।
कितने सावन बीत गए.. (सैनिक की पत्नी की मीठी मनुहार)
"अगर सही होते हुए भी हमे गलती स्वीकार करके माफ़ी माँगनी पड़ी,
पासवर्ड: "खुल जा सिम सिम" से लेकर फेस आईडी तक का सफर
इस जहां में यारा झूठ की हुक़ूमत बहुत है,
ये दिल तेरी चाहतों से भर गया है,
"एजेंट" को "अभिकर्ता" इसलिए, कहा जाने लगा है, क्योंकि "दलाल"
धर्म आज भी है लोगों के हृदय में
नाथ शरण तुम राखिए,तुम ही प्राण आधार
दुनिया बदल गयी ये नज़ारा बदल गया ।
दुःख, दर्द, द्वन्द्व, अपमान, अश्रु
जो चलाता है पूरी कायनात को
तुम्हें क्या लाभ होगा, ईर्ष्या करने से
"बिहार की गाथा"(अभिलेश श्रीभारती)
Abhilesh sribharti अभिलेश श्रीभारती