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3 Jun 2024 · 1 min read

गजल सगीर

किसी भी शख्स का जब भी भरोसा टूट जाता है।
फकत दिल ही नहीं, उसका जहां भी टूट जाता है।

कोई रिश्ता किसी भी मंजिले मकसूद से पहले।
चुकाता हूं मैं हर कीमत पर रिश्ता टूट जाता है।

सुनाता हूं किसी को जब मोहब्बत का यह अफसाना।
कभी कोई कभी कोई किनारा टूट जाता है।

बड़ी उम्मीद से पाला था जिसको जब वही बेटा।
अकेला छोड़ जाता है बुढ़ापा टूट जाता है।

तुम्हारा साथ मेरी जिंदगी की बैल गाड़ी है।
बिना तेरे ,मेरी गाड़ी का पहिया टूट जाता है।

तलातुम मेरी आंखों में मोहब्बत का सगीर ऐसा।
अगर महसूस कर लेता है दरिया टूट जाता है

Language: Hindi
1 Like · 172 Views
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