यह काना फूसी की आदत अब छोड़ ,सुनाई देता है।
पसन्द नहीं था खुदा को भी, यह रिश्ता तुम्हारा
ज़िंदगी को किस अंदाज़ में देखूॅं,
शिकायत करें भी तो किससे करें हम ?
कृष्ण भक्ति में मैं तो हो गई लीन...
*अभिनंदनीय हैं सर्वप्रथम, सद्बुद्धि गणेश प्रदाता हैं (राधेश्
मैं अक्सर देखता हूं कि लोग बड़े-बड़े मंच में इस प्रकार के बय
मेरे दिल ओ जां में समाते जाते
शायर का मिजाज तो अंगारा होना चाहिए था
आ गई रंग रंगीली, पंचमी आ गई रंग रंगीली