जीवन दर्शन मेरी नजर से ...
एक दिन, तुम्हारी मां तुम्हें फोन नहीं करेंगी।
*कोई जीता कोई हारा, क्रम यह चलता ही रहता है (राधेश्यामी छंद)
अच्छी तरह मैं होश में हूँ
ग़ज़ल _नसीब मिल के भी अकसर यहां नहीं मिलता ,
दिल को बैचेन होते हुए देखा हैं
ज़िंदगी कुछ भी फैसला दे दे ।
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - पूर्व आयुष निदेशक - दिल्ली
आत्मविश्वास ही आपका सच्चा साथी और हर स्थिति में आपको संभालने
महालय।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
नील छंद (वर्णिक) विधान सउदाहरण - ५भगण +गुरु
सुन-सुन कर दुखड़ा तेरा, उसे और वह बढ़ाती गई,