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2 Sep 2023 · 1 min read

गुरू शिष्य का संबन्ध

गुरू शिष्य का संबन्ध
(विभत्स रस,, स्थायी भाव_घृणा)

देख दशा बृद्धन का
बह रहा था नीर
मलमुत्र से सना हुआ
कोई न बैठें तीर

खांसते खखारते असहाय
कफ बना था ढेर
समीप न जाते लौट आते
मुंह लेते थे फेर

कवि विजय चला गया
संग गया न कोय
घृणित दशा को देखकर
सर पकड़ कर रोय

दुर्गंध युक्त था वातावरण
मैले कुचैले था वस्त्र
चिकित्सक होने के नाते
उठा लिया निज शस्त्र

साफ सफाई कर उनका
छिड़क दिया जी सेंट
दे दवाई उस सज्जन को
कर दिया ट्रीट मेंट

सामान्य सज्जन था नहीं
पेंशन धारी शिक्षक था
किया उपचार है जिसने
पढ़ाया हुआ चिकित्सक था

डॉ विजय कुमार कन्नौजे
अमोदी आरंग
ज़िला रायपुर छ ग

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