Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
31 Aug 2023 · 2 min read

कोरोना संक्रमण

कोरोना संक्रमण

तीन हफ्ते की लॉकडाऊन के बाद जब लॉकडाऊन – 2 की घोषणा हुई, तो स्थिति असह्य लगने लगी। उन्होंने अपने 3-4 घनिष्ठ मित्रों से मोबाइल फोन पर ही चर्चा कर कार्यक्रम की अंतिम रूपरेखा तैयार कर ली।
वे जैसे ही अपने कक्ष से बाहर निकले, श्रीमती जी ने बाहर न जाने के लिए समझाने की कोशिश की, जिसे वे नजरअंदाज कर गए।
माँ ने भी समझाया, “बेटा, यदि जाना जरूरी ही है, तो कम से कम साथ में सेनिटाइजर तो रख ले और मास्क भी लगा ले।”
माँ की बात रखने के लिए उन्होंने साथ में सेनिटाइजर रख लिया और मास्क भी लिया, जिसे थोड़ी ही देर में निकाल कर साइड में रख दिया। मास्क लगाने से उन्हें घुटन जो महसूस होती है।
वे जैसे ही गली के मोड़ पर पहुँचे, दो पुलिस वालों ने रोका, तो उन्होंने बड़े रौब से कहा, “साइड में हट। जानता नहीं कौन हूँ मैं।”
एक सिपाही ने कहा, “सर, हम तो जानते हैं कि आप सांसद प्रतिनिधि हैं, परंतु कोरोना वायरस को इससे कोई मतलब नहीं होता। फिर सरकारी आदेश तो सबके लिए हैं न।”
उन्होंने धमकाया, “तुम पहचान गए न ? चलो, अब हटो। कोरोना से हम खुद ही निपट लेंगे।”
उनकी गाड़ी फर्राटे से आगे निकल गई।
शहर के बाहर स्थित फॉर्महाउस में उन्होंने अपने दोस्तों के साथ जबरदस्त पार्टी की।
तीन दिन बाद अचानक उनकी तबीयत खराब हुई। अस्पताल ले जाए गए। डॉक्टरों ने जाँच कर बताया कि उनका कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव है।
अब उनके सभी परिजन और मित्रों के अलावा उनके भी परिजन संदिग्ध होने के कारण अलग-अलग जगह कोरंटाइन में हैं।
वे स्वयं हॉस्पिटल के एक कोने में वेंटिलेटर पर पड़े-पड़े सोच रहे हैं कि उनकी जरा-सी लापरवाही ने कितने लोगों की जान सांसत में डाल दी है।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़

Loading...