Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Aug 2023 · 2 min read

लम्हे

बापू की अपेक्षाओं
का बोझ लादे
सतरंगी सपनें संजोये
मैं पढ़ने बनारस
आ गया था
पर चाह कर भी कुछ
विशेष कर नहीं
पा रहा था।

साहित्य का प्रेमी मै
मेरा मन विज्ञान
से भटक रहा था
लाख कोशिशों के बाद
भी स्वयं को मैं इस
परिस्थितियों से समायोजित
नहीं कर पा रहा था।

हताश आज भी
जीवन का वो लम्हा
मुझे भूलता नहीं
जब मंदाकिनी के तट
पर उदास बैठा
सोच रहा था, क्या
गलत है या क्या सही ?

उस मंजिल की
तलाश में
जिसका मुझे कुछ भी
पता नही था
बापू की उम्मीद व भय
मुझे दिन ब दिन खाये
जा रहा था
निराश तब मैंने
एकाएक इस तीव्र
झंझावत से बचने हेतु
मैंने स्वयं अपने
को समाप्त करने का
एक अनचाहा निर्णय
ले लिया था।

एक अजीब सा
विप्लव व कशमकश
स्वयं पर भी चल नही
रहा था कोई वश।
अचानक माँ की वह सीख
कानों में गूंज उठी
बाबू जब कभी जी घबराये
बस मुझे याद कर लेना
मेरे चेहरे को अपने
सामने रख लेना।

इस खयाल के साथ
मेरी माँ अदृश्य रूप में
मेरे समक्ष खड़ी थी
मुझे देख कर हँस रही थी।
बोली निर्मेष तुम
इतने तो कमजोर नहीं हो
अपने को समाप्त
करने के पूर्व मेरे बारे में
क्या सोचे हो ?

आजीवन पुत्रशोक में
मैं जलती रहूँ
लोगो के उलाहने
और ताने सुनती रहूँ
बापू तेरे कहीं मुहँ
दिखाने लायक न रहे
बस ताने सुनते ही उनका
साधु सा जीवन बीते
कृष्णा किसे राखी
अब बाँधेगी
तुम्हारे पीछे कितनी
विपत्तियां हाथ धोकर
हमारे पीछे पड़ेगी।

तुम्हारे न होने से हम पर
क्या क्या फर्क पड़ेगा?
इसका अंदाजा
तुम्हे बेशक नहीं होगा।
बूढ़े बाप को किसका
सहारा होगा
मेरी और कृष्णा का
भविष्य दावँ पर लगेगा।

बेटा छोड़ो तुम्हे जो
रुचिकर लगे
वही करो
पर बेटा अपने को
समाप्त करने की कल्पना
भी मत करों।
पापा को मैं मना लूँगी
बस तुम अपना
खयाल रखो।

वो दिन और वो जीवन
का लम्हा आज भी
मुझे भूलता नहीं
आज एक आइटियन
से कहीं अच्छा हूँ
जो विदेशों से अपने
माँ-बापू के मौत के
खबर पर ही आते है
क्रियाकर्म के उपरांत
तुरत निकल जाते हैं।

निर्मेष मुझे गर्व है
कि आज भी मैं अपनी
माँ का बच्चा हूँ
बहुत से मेडिकल व
ऐसे आइटियन
से कहीं अच्छा हूँ।

निर्मेष

353 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
View all

You may also like these posts

पहले मैं इतना कमजोर था, कि ठीक से खड़ा भी नहीं हो पाता था।
पहले मैं इतना कमजोर था, कि ठीक से खड़ा भी नहीं हो पाता था।
SPK Sachin Lodhi
..
..
*प्रणय प्रभात*
आओ एक गीत लिखते है।
आओ एक गीत लिखते है।
PRATIK JANGID
"परछाई के रंग"
Dr. Kishan tandon kranti
🌱कर्तव्य बोध🌱
🌱कर्तव्य बोध🌱
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
जो विष को पीना जाने
जो विष को पीना जाने
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
ग़ज़ल : तुमको लगता है तुम्हारी ज़िंदगी पुर-नूर है
ग़ज़ल : तुमको लगता है तुम्हारी ज़िंदगी पुर-नूर है
Nakul Kumar
अगर कुछ करना है,तो कर डालो ,वरना शुरू भी मत करना!
अगर कुछ करना है,तो कर डालो ,वरना शुरू भी मत करना!
पूर्वार्थ
टेसू के अग्नि पुष्प
टेसू के अग्नि पुष्प
Ami
सोरठौ
सोरठौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
समय बदलता
समय बदलता
surenderpal vaidya
रुकती है जब कलम मेरी
रुकती है जब कलम मेरी
Ajit Kumar "Karn"
दिये आँखो कें जलाये बैठी हूँ ...
दिये आँखो कें जलाये बैठी हूँ ...
Manisha Wandhare
*** तोड़ दिया घरोंदा तूने ,तुझे क्या मिला ***
*** तोड़ दिया घरोंदा तूने ,तुझे क्या मिला ***
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
जिद शत्रु बन जाता है,
जिद शत्रु बन जाता है,
Buddha Prakash
अच्छी बात है
अच्छी बात है
Ashwani Kumar Jaiswal
दश्त में शह्र की बुनियाद नहीं रख सकता
दश्त में शह्र की बुनियाद नहीं रख सकता
Sarfaraz Ahmed Aasee
फितरत की कहानी
फितरत की कहानी
प्रदीप कुमार गुप्ता
नज़र
नज़र
Shakuntla Shaku
कमी नहीं
कमी नहीं
Dr fauzia Naseem shad
जेसे दूसरों को खुशी बांटने से खुशी मिलती है
जेसे दूसरों को खुशी बांटने से खुशी मिलती है
shabina. Naaz
होना चाहिए....
होना चाहिए....
Shubham Anand Manmeet
ग़ज़ल-दर्द पुराने निकले
ग़ज़ल-दर्द पुराने निकले
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
मेरी मोहब्बत पाक मोहब्बत
मेरी मोहब्बत पाक मोहब्बत
VINOD CHAUHAN
पत्थर
पत्थर
manjula chauhan
गुरु हो साथ तो मंजिल अधूरा हो नही सकता
गुरु हो साथ तो मंजिल अधूरा हो नही सकता
Diwakar Mahto
4510.*पूर्णिका*
4510.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हिसाब सबका होता है
हिसाब सबका होता है
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
जो सब समझे वैसी ही लिखें वरना लोग अनदेखी कर देंगे!@परिमल
जो सब समझे वैसी ही लिखें वरना लोग अनदेखी कर देंगे!@परिमल
DrLakshman Jha Parimal
Loading...