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13 Aug 2023 · 1 min read

हमदम साथी

मुक्तक – हमदम
============================
कभी तेरी किसी बातों से,कब इनकार है हमको।
गिरा दो या उठा दो तुम,सदा इकरार है हमको।
नहीं जीना तुम्हारे बिन,हमें संसार मे हमदम।
दीवाना हूँ तुम्हारा ही,तुम्हीं से प्यार है हमको।

जवानी में मोहब्बत का,मुझे अब रंग भरना हैं।
नहीं झुकना कभी मुझको,नहीं दुनिया से डरना हैं।
तुम्हारे बिन नहीं मेरा,कोई पहचान इस जग में।
तेरे बाहों में जीना है,तेरे बाहों में मरना हैं।

तू जितना रूठ ले मुझसे,तुझे इक दिन मना लूँगा।
तेरी गैरत को भी हमदम,मैं अपना दिल बना लूँगा।
तू गर आवाज दे मुझको,जहाँ को छोड़ कर आऊँ।
बसाकर मन की मंदिर में,तुझे मंजिल बना लूँगा।

जिसे मैं रोज पूजूँगा,प्रिये तुम ही ओ मूरत हो।
तुम्हारे नाम से धड़के,मेरे दिल की जरूरत हो।
तुम्हारे बिन न रो पाऊँ,नहीं मैं हँस कभी सकता।
वहीं एहसास जीवन की,तुम्हीं तो खूबसूरत हो।

जिसे दिल ने सदा चाहा,जिसे पाने को ठाना हूँ।
इबादत रोज करने को,खुदा जिसको मैं माना हूँ।
पलटकर देख ले मुझको,भी तू एकबार ये जानम।
तेरा ही हमनशी हूँ मैं,तेरा ही मैं दीवाना हूँ।
★★★★★★★★★★★★★★★★★★
डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”✍️✍️✍️

1 Like · 174 Views
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