मत कर

मत करना उसके वादों पे ऐतबार।
या भूल जाना क्या चीज़ थी बहार।
मंजिल की तरफ तू पांव अपने बढा,
शायद कोई करता हो तेरा इंतज़ार।
मत सोच कर हो तू यूँ ही परेशान।
माना की जिंदगी नही है आसान।
मंजिल की तरफ तू पांवअपने बढा
जला उम्मीद का तू नया शमादान।
नई राह पर तू हो झट से अग्रसर।
इस जहां वालो की तू न कर फिक्र।
मंजिल की तरफ तू पांव अपने बढा
देख जिंदगी की तू नयी रहगुजर।
सुरिंदर कौर