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7 Aug 2023 · 1 min read

कुछ नशा होता तो बोतलें नाचती

कुछ नशा होता तो बोतलें नाचती
**************************

खो दिया होश देखी वो चुलबली,
सीने लगाई आग चंचल मनचली।

नैनों से है वो पिलाती मय सदा,
देखी नहीं उन सी कहीं मयकशी।

खाली खाली सा दिखे है मयकदा,
पीने लगे लहू मयकश है हर घड़ी।

कुछ नशा होता तो बोतलें नाचती,
क्यों पीने वाले नाचते पीकर धडी।

खूब उन से थी हमें तो हमनशीनी,
याद बहुत आने लगी वो हमनशीं।

ले हाथों मे हाथ उनका चल पड़े,
इस गली से उस गली कहीं कहीं।

अनुभूत है स्पर्श उनके हस्त का,
तनबदन की खुशबू थी सिर चढी।

ख्यालों में खोया मनसीरत सदा,
ख्वाबों मे आने लगी है बन झड़ी।
*************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
248 Views
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