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6 Aug 2023 · 1 min read

घन घटाओं के जैसा कोई मीत हो।

घन घटाओं के जैसा कोई मीत हो।
तेज चलने लगे धूप की आरियां,
सूखने जब लगे चैन की क्यारियां,
सब्र की जब जमा पूंजी घटने लगे,
जब लगे कम सभी अपनी तैयारियां ,
नेह छाया बने आए ढक ले हमें ,
मन मुदित जो करें ऐसा संगीत हो,
घन घटाओं के जैसा कोई मीत हो।
स्मरण जिसका मन में सरसता भरे,
मिलते ही चित्त की तिक्त्ता जो हरे ,
मोर के पंख सा जिसका स्पर्श हो,
रेशमी हो उठें सारे पल खुरदुरे,
एक निश्चिंतता की अलस घेर ले,
मंद पुरवाई जैसा सुखद गीत हो,
घन घटाओं के जैसा कोई मीत हो।
नीर की बदली सा जिसका व्यवहार हो,
जलते मन के लिए जल का उपहार हो,
भाव के कंटकों को जो पुष्पित करे,
उसके व्यवहार में ऐसी रसधार हो,
जो समय की मथानी से और शुभ्र हो,
जो सभी रिश्ते नातों का नवनीत हो ,
घन घटाओं के जैसा कोई मीत हो।

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