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5 Aug 2023 · 1 min read

अब कहां वो प्यार की रानाइयां।

गज़ल

2122/2122/212
अब कहां वो प्यार की रानाइयां।
हर तरफ हैं दर्द औ’र बेचैनियां।1

चांद के खातिर मचलना वो मेरा,
याद आती आज सब नादानियां।2

देखकर के रोज दंगे औ’र फसा’द,
बढ़ रही हैं आज फिर बेचैनियां।3

इक जमाने में जो कीं थी भूलवश,
फिर वही दोहरा रहे हैं गल्तियां।4

इश्क के दरिया में डूबा है वही,
जिसने नापीं प्यार की गहराइयां।5

लाख कोशिश की न प्रेमी वो मिली,
छात्र जीवन में जो कीं मस्तियां।6

……….✍️ सत्य कुमार ‘प्रेमी’

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