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5 Aug 2023 · 1 min read

आप और हम

आप और हम ही किरदार रहते हैं।
आज और कल हमें समाज कहते हैं।

झूठ फरेब और स्वार्थ हमारे अपने हैं।
सच आप और हम ही मन भावों रखते हैं।

जीवन की विडंबना सच हम जानते हैं।
आप और हम फिर भी अनजान रहते हैं।

हां अहम और वहम की जिंदगी जीते हैं।
आप और हम शायद अंतर्मन न जानते हैं।

आप और हम बस हवा-पानी पंचतत्व हैं।
सोचे समझे तब जीवन एक अवसर हैं।

आप और हम एक सांसों की सरगम हैं।
आओ हम सच सरगम को समझते हैं।

आप और हम कदम बढ़ा कर चलते हैं।
कुछ हम कुछ आप जिंदगी के सच पढ़ते हैं।

नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

Language: Hindi
2 Likes · 212 Views
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