Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
5 Aug 2023 · 1 min read

*जरा काबू में रह प्यारी,चटोरी बन न तू रसना (मुक्तक)*

जरा काबू में रह प्यारी,चटोरी बन न तू रसना (मुक्तक)
_____________________________
हमेशा से चला आया है, क्रम रोना कभी हँसना
किसे मालूम है जाकर, बुढ़ापे में कहाँ बसना
समय को साधकर चलना, ही जीवन में समझदारी
जरा काबू में रह प्यारी, चटोरी बन न तू रसना
—————————————-
रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा , रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

Loading...