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4 Aug 2023 · 1 min read

मुक्तक

दीपक-सम जग ज्योतित करना,जलना सीखा है।
जीत भरोसा नहीं किसी को, छलना सीखा है।
कुछ तो गुण आएँगे उनके , है सच्चाई ये,
जिनकी उँगली का संबल ले, चलना सीखा है।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय

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