हिंसा न करने का उथला दावा तथा उतावला और अनियंत्रित नशा एक व्
मैं हारा हूं बस एक परीक्षा में
यादों की अलमारी से जब मैंने कुछ धूल हटाई,
आम, नीम, पीपल, बरगद जैसे बड़े पेड़ काटकर..
बसंत
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
समय जो चाहेगा वही होकर रहेगा...
ख्वाब रूठे हैं मगर हौसले अभी जिंदा है हम तो वो शख्स हैं जिसस
Be with someone you can call "home".
नववर्ष है, नव गीत गाएँ..!
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
” सपनों में एक राजकुमार आता था “
दिल का यह क़यास है शायद ।