झुका के सर, खुदा की दर, तड़प के रो दिया मैने
जिन अल्फाज़ो को, आवाज नहीं दे सकते।
आँखें क्या कुछ नहीं कहती है,
हर जमीं का कहां आसमान होता है
ऊँची पहाड़ियों पर भी बर्फ पिघलते हैं,
"YOU ARE GOOD" से शुरू हुई मोहब्बत "YOU
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तू अपनी खूबियां ढूंढ ....कमियां निकालने के लिए लोग हैं |
गोरा है वो फिर भी काला लगता है।
मुझको अपनी शरण में ले लो हे मनमोहन हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मुस्कुराते हुए चेहरे से ,
फूलों की तरह मैं मिली थी और आपने,,