Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
31 Jul 2023 · 1 min read

क्या पता है तुम्हें

कैसे कटेगा सफ़र ज़िंदगी का
अकेला बहुत हूं क्या पता है तुम्हें
जीने की मेरी अब जो एक ही चाह है
वो याद तेरी है क्या पता है तुम्हें

सुन ले सनम तू, मेरे दिल का राज़ ये
तू ही है इसमें, क्या पता है तुम्हें
दिन हो या रात हो, सुबह हो या शाम हो
करता हूँ याद तुमको, क्या पता है तुम्हें

देखता हूँ जब भी चेहरा तेरा मैं
भूल जाता हूँ सबकुछ, क्या पता है तुम्हें
दिल में बसा लो, सांसों में समा लो
जान हो मेरी तुम, क्या पता है तुम्हें

मिलेगा जहान में न, दूसरा दीवाना तुम्हें
तेरे दर पर बैठा हूँ, क्या पता है तुम्हें
बंद करके आँखों को तुम्हें देख लेता हूँ
रह नहीं सकता बिन तेरे, क्या पता है तुम्हें

नहीं मालूम मुझे तो उसकी चाहत सनम
बस तुम मेरे हो, मुझे ये पता है
मिलाया है उसने तुमसे, बसाया है दिल में मेरे
जो चाहता है वो, क्या पता है तुम्हें

Loading...