Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jul 2023 · 1 min read

बाल कविता :भीगी बिल्ली

बाल कविता :भीगी बिल्ली
*********************
भीगी जब बारिश में बिल्ली
एक तरफ को बैठी
दुबक-सिकुड़कर उसे देखकर
लगता जैसे ऐंठी
तभी देखकर चूहा
बिल्ली ने आवाज लगाई
बोली “हीटर देह सुखाने
मुझको ला दो भाई”
चूहा बोला “सूख गई तुम
तो दौड़ी आओगी
न बाबा न ! मुझे पकड़कर
झटपट खा जाओगी”
____________________________
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा , रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9 997 615 451

684 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

हृदय तूलिका
हृदय तूलिका
Kumud Srivastava
आप हम से ख़फ़ा नहीं होना।
आप हम से ख़फ़ा नहीं होना।
Dr fauzia Naseem shad
झूठी मुस्कुराहटें
झूठी मुस्कुराहटें
Krishna Manshi (Manju Lata Mersa)
पुराने साल को विदाई
पुराने साल को विदाई
Rekha khichi
छोटी छोटी बातें  ...
छोटी छोटी बातें ...
sushil sarna
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
Raju Gajbhiye
महकती रहेगी मुहब्ब्त की ख़ुशबू
महकती रहेगी मुहब्ब्त की ख़ुशबू
डॉक्टर रागिनी
मतदान
मतदान
Neerja Sharma
प्रदूषण
प्रदूषण
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
"एक पैगाम पिता के नाम"
Pushpraj Anant
कामवासना
कामवासना
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
जय जगन्नाथ ! जय जगन्नाथ !!
जय जगन्नाथ ! जय जगन्नाथ !!
महेश चन्द्र त्रिपाठी
हठ;कितना अंतर।
हठ;कितना अंतर।
Priya princess panwar
बेहद खुशनुमा और हसीन से हो गए हैं ये दिन।
बेहद खुशनुमा और हसीन से हो गए हैं ये दिन।
Rj Anand Prajapati
जय मां शारदे
जय मां शारदे
Harminder Kaur
प्रीतम दोहावली
प्रीतम दोहावली
आर.एस. 'प्रीतम'
मुझे लगा अब दिन लदने लगे है जब दिवाली की सफाई में मां बैट और
मुझे लगा अब दिन लदने लगे है जब दिवाली की सफाई में मां बैट और
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
दोहा
दोहा
seema sharma
प्रेम लौटता है धीमे से
प्रेम लौटता है धीमे से
Surinder blackpen
*सत्य-अहिंसा की ताकत से, देश बदलते देखा है (हिंदी गजल)*
*सत्य-अहिंसा की ताकत से, देश बदलते देखा है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
आँगन में दीवा मुरझाया
आँगन में दीवा मुरझाया
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
इबादत की सच्चाई
इबादत की सच्चाई
पूर्वार्थ
कैसे पचती पेट में, मिली मुफ्त की दाल।.
कैसे पचती पेट में, मिली मुफ्त की दाल।.
RAMESH SHARMA
पधारे दिव्य रघुनंदन, चले आओ चले आओ।
पधारे दिव्य रघुनंदन, चले आओ चले आओ।
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
दिनांक,,,11/07/2024,,,
दिनांक,,,11/07/2024,,,
Neelofar Khan
अंधी पीसें कुत्ते खायें।
अंधी पीसें कुत्ते खायें।
Vishnu Prasad 'panchotiya'
यादों का जंगल
यादों का जंगल
Kanchan Advaita
4806.*पूर्णिका*
4806.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
Loading...