साथ अगर उनका होता

हम भी होते ऐसे ही, खास अगर यह नहीं होता।
रूठा नसीब होता नहीं, साथ अगर उनका होता।।
हम भी होते ऐसे ही—————–।।
बेवफा वो ही हुआ है, हमने वफायें जिससे की।
दुश्मन भी वो ही हुआ है, मुहब्बत हमने जिससे की।।
समझा होता अगर उसने, ताब हमारा भी होता।
रूठा नसीब होता नहीं, साथ अगर उनका होता।।
हम भी होते ऐसे ही——————।।
लहू उसको दिया अपना, पाप मन में नहीं था कोई।
पीये उसके लिए आँसू , सितम उसपे नहीं था कोई।।
गरूर अगर नहीं होता उसे,आबाद हमारा दिल होता।
रूठा नसीब होता नहीं, साथ अगर उनका होता।।
हम भी होते ऐसे ही——————।।
उनको प्यारी थी दौलत बहुत, धनवान हम थे नहीं।
वो थी महलों की शहजादी, शहजादे हम थे नहीं।।
प्यार नहीं होता उनसे, रोशन हमारा भी घर होता।
रूठा नसीब होता नहीं, साथ अगर उनका होता।।
हम भी होते ऐसे ही—————–।।
अब तो हो गई है आदत,अकेला जीने की यारों।
प्यार अब तो खुद से है, वफ़ा किसी से नहीं यारों।।
मिलता नहीं उनसे जख्म, हमारा नसीब हसीं होता।
रूठा नसीब होता नहीं, साथ अगर उनका होता।।
हम भी होते ऐसे ही—————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)