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17 Jul 2023 · 1 min read

रेल प्रगति की

चली जा रही रेल प्रगति की, जो चलती कम, रुकती ज्यादा
सकुशल मंजिल तक पहुंचाने, का सबसे करती है वादा

हर स्टेशन पर सवारियों का, मेला देता है दिखलाई
कोई नहीं उतरता दिखता, मंजिल नहीं किसी ने पायी
हर स्टेशन की भीड़ रेल में, आसानी से खप जाती है
मिल जाती है जगह सभी को, भीड़ न रंच कष्ट पाती है
मंजिल क्यों न अभी तक आई, करता कोई नहीं तगादा
चली जा रही रेल प्रगति की, जो चलती कम, रुकती ज्यादा

सबको बंगला कार चाहिए, अत्याकर्षक जीवनसाथी
नहीं चाहिए ऊंट किसी को , नहीं चाहिए घोड़ा हाथी
रथ का युग रह नहीं गया अब, सभी चाहते उड़नखटोला
मदिरापान पसंद सभी को, त्याग चुके विजया का गोला
उच्च विचार न रहे किसी के, कौन जिए अब जीवन सादा
चली जा रही रेल प्रगति की, जो चलती कम, रुकती ज्यादा

पिज्जा बर्गर के आदी सब, नहीं किसी को रुचे चबैना
कुत्ते हैं स्टेटस सिंबल अब, कम दिखते अब तोता मैना
सिरहाने शोभा पाते वे, जो पैताने के नाकाबिल
नर मादा में अन्तर करना, आम आदमी को है मुश्किल
सन्त सन्तई दिखलाते अब, आडम्बर का ओढ़ लबादा
चली जा रही रेल प्रगति की, जो चलती कम, रुकती ज्यादा

महेश चन्द्र त्रिपाठी

Language: Hindi
Tag: गीत
158 Views
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