Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
16 Jul 2023 · 1 min read

पात उगेंगे पुनः नये,

पात उगेंगे पुनः नये,
है पतझड़ हर ओर
सुन आहट नवभोर की,
है कलरव हर छोर
महावीर उत्तरांचली

Loading...