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13 Jul 2023 · 2 min read

पुनर्जन्म का सत्याधार

भौतिक जगत में किसी भी जीव के अस्तित्व का मूल उसकी भौतिक संरचना है ,जो विभिन्न परिस्थितियों में उसके सुचारू रुप से जीवन निर्वोह का कारण होती है।
मनुष्य शरीर की संरचना के दो प्रमुख तत्व हैं।
प्रथम स्थूल शरीर एवं द्वितीय सूक्ष्म शरीर।
स्थूल शरीर विभिन्न बाह्य अंगों एवं आंतरिक अंगों से मिलकर मनुष्य की भौतिक स्थिति को निर्धारित करता है।
सूक्ष्म शरीर वह अदृश्य शक्ति है जो मनुष्य के शरीर के कार्यकलापों की चेतना को संचालित करती है , जिसे हम आत्मा के नाम से परिभाषित करते हैं।
मनुष्य का मस्तिष्क एक जटिल तंत्रिका कोशिका संगठित रचना है , जो विभिन्न अंगों के कार्यकलापों हेतु चेतना का निर्माण एवं उन्हें नियंत्रित करती है।
मस्तिष्क का एक भाग स्मरण शक्ति संग्रहित करता है , तथा संज्ञान एवं प्रज्ञा शक्ति को निर्धारित करता है। विभिन्न जैव रासायनिक स्राव इन्हे निरंतर पोषित करते रहते हैं ।
वास्तव में सूक्ष्म शरीर अर्थात आत्मा वह अदृश्य शक्ति है , जो मस्तिष्क को संचालित कर मनुष्य को जीवंत रखती हैं। इसके स्थूल शरीर को छोड़ने के फलस्वरुप मनुष्य मृत्यु को प्राप्त होता है ।
अदृश्य आयाम युक्त यह आत्मा पुनर्जन्म में नवीन स्थूल शरीर धारण करती है।
पुनर्जन्म की परिकल्पना का सत्याधार इस बात से स्पष्ट होता है कि पूर्व जन्म की बातों को इस जन्म में याद रखने का प्रमाण प्रकट होना, जो एक अकल्पनीय एवं अलौकिक घटित प्रमाण है।
विभिन्न धर्मों के मतावलंबी भी पुनर्जन्म को प्रतिपादित करते हैं।
इस विषय में विवेचना करने से यह स्पष्ट होता है कि मनुष्य की स्मरण शक्ति मस्तिष्क में संचालित करने में अंतस्थ आत्मा की प्रमुख भूमिका है ,
जो शरीर छोड़ने के पश्चात भी वे स्मृतियाँ आत्मा में विद्यमान रहती है , और पुनर्जन्म होने पर कुछ समय के लिए उस नए मस्तिष्क में पूर्व स्मृति के रूप में प्रगट होती है।
वर्तमान में वैज्ञानिक रूप से अनुसंधान करने पर यह पाया गया है कि मनुष्य के पूर्व जन्म की स्मृतियाँ उसके मन मस्तिष्क में पुनर्जन्म के पश्चात कुछ समय तक विद्यमान रहती हैं , जो कालांतर में धीरे-धीरे क्षीण होकर विस्मृत हो जाती हैं।
अतः हम यह कह सकते हैं कि मस्तिष्क का अधिमान संचालक आत्मा ही है , जो मस्तिष्क को स्थूल शरीर के कार्यकलापों को संचालित करने के लिए निर्देश देती है।
तपस्वियों एवं साधकों ने साधना के माध्यम से पूर्व जन्म स्मृतियों का आवाहन् करके पुनर्जन्म के सत्याधार को सिद्ध किया है।

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