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12 Jul 2023 · 1 min read

जागो रे बीएलओ

(शेर)- मत रहो बनकर कोल्हू का बैल, अब तो तुम बीएलओ।
तुम पर जुल्मो- शोषण के खिलाफ, करो शुरू जंग बीएलओ।।
डरो मत अपना पसीना और लहू बहाने में, अन्याय के खिलाफ तुम।
जुल्मों के खिलाफ बजाकर बिगुल, हुंकार भरो तुम बीएलओ।।
———————————————————
जागो रे जागो,जागो, जागो रे बीएलओ।
जैसे कोटा चुरू के, जागे हैं बीएलओ।।
जागो रे जागो,जागो ——————–।।

शोषण है तुम्हारा, संघर्ष तुमको ही करना है।
जुल्म हुए हैं तुम पर, तुमको ही लड़ना है।।
करो जंग शुरू अब तो, तुम भी बीएलओ।
जागो रे जागो, जागो—————-।।

पसीना तुम्हारे लिए, तुम्हें ही बहाना है।
किसी की दया पर निर्भर, तुम्हें नहीं रहना है।।
राजनीति मुद्दा हो तुम, गैरों के लिए बीएलओ।
जागो रे जागो, जागो—————-।।

पाने को न्याय, झिझक और डर छोड़िये।
जुल्मो-शोषण के विरुद्ध, बेखौफ बोलिये।।
अपमान के खिलाफ, भरो हुंकार बीएलओ।
जागो रे जागो,जागो—————-।।

शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

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