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11 Jul 2023 · 1 min read

आज मन व्यथित है

आज मन व्यथित है
हृदय बिंधा सा है
तो कैसे री उमंग तू आएगी

निर्दोष मर रहा है
पापी हँस रहा है
तो कैसा उत्सव मनाएगी!
री! बोल उमंग फिर तू कैसे आएगी?

हृदय रक्त से सींचित है
विधि भी विपरीत है
तो फिर कैसे मुस्काएगी!
बोल तो उमंग तू कैसे आएगी!

दनुज अट्टहास कर रहा है
भक्तों पे गोलियाँ बरसा रहा है
तो हिय में क्या रक्तिम लास लाएगी?
बता तो उमंग तू किधर से आएगी!

विधाता के दृग बंद हैं
भक्ति रक्त से सनी है
तो बोल क्या लाज न आएगी ।
जानता हूँ अ उमंग तू नहीं आ पाएगी।
सोनू हंस✍✍✍✍

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