"समय क़िस्मत कभी भगवान को तुम दोष मत देना
जिंदगी रूठ गयी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ट्रेन का सफर: उम्मीदों और इरादों की उलझी गुत्थी
हम भी अकेले, तुम भी अकेले
Prapancha mahila mathru dinotsavam
ग़ज़ल सगीर अहमद सिद्दीकी खैरा बाज़ार
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
*मुंडी लिपि (राधेश्यामी छंद)*
सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर विशेष
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
*बाल गीत (मेरा प्यारा मीत )*
जिस दिन हम ज़मी पर आये ये आसमाँ भी खूब रोया था,
वक्त के थपेड़ो ने जीना सीखा दिया
क्या ये किसी कलंक से कम है
लालच में दौड़ता हुआ इंसान
रफ़्ता -रफ़्ता पलटिए पन्ने तार्रुफ़ के,