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5 Jul 2023 · 1 min read

बस यूँ ही..

ख़ामोशी मेरी
कभी मौन नहीं रहतीं
ये दहाड़ती हैं मुझ में
एक शोर बन कर.

यादें तेरी,
हलचल सी हैं ज्यों
लहरे मचलती है
नदी के सीने पर.

अहसास तेरा
छू लिया करता है मुझे
कुछ इस तरह
झोंका हवा का
छू ले फ़ूलों को
पेड़ की शाख पर!!

हिमांशु Kulshreshtha

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