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3 Jul 2023 · 1 min read

निराशा हाथ जब आए, गुरू बन आस आ जाए।

निराशा हाथ जब आए, गुरू बन आस आ जाए।
गहन तम तोम जब छाए, गुरू बन ओज आ जाए।
फँसे जब नाव धारा बिच, गुरू पतवार बन जाए।
हमारा पथ प्रदर्शक बन, हमें सन्मार्ग दिखलाए।

© सीमा अग्रवाल

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