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1 Jul 2023 · 1 min read

फितरत

इल्जाम दूं किसीको फितरत में ये नही।
हर दांव जीत जाऊं हसरत में ये नहीं।।

जीवन के रास्ते में ठोकर मिली बहुत ,
शिकवा करूं सभी से आदत में ये नहीं।

तोहमतों से उनकी चोटिल है मेरा दिल ,
कैसे किसे बताऊं, राहत में ये नहीं ।

घर की पुरानी छत से पानी टपक रहा ,
बारिश में जा नहाऊं,चाहत में ये नहीं ।

है इतनी सी गुजारिश , मेरी ‘ सरोज’ सुन ,
सुख मेलजोल में है, नफरत में ये नहीं ।
सरोज यादव

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