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30 Jun 2023 · 1 min read

वर्षा का भेदभाव

वर्षा का भेदभाव

वर्षा में थे जो घर वाले किये धार ने कई बेघर,
कभी गिरी है खूब झमाझम कभी गिरी है टिपर-टिपर ।।

घर में फिर भी टपके रह गये घर को अच्छा छाने पर, बाहर बरसा मेघ झमाझम अन्दर टपका टिपर-टिपर ।।

पहले निडर खर्च करते हैं और फिर बेतन डर-डर कर,
सावन भादो खूब झमाझम और क्वांर में टिपर-टिपर।।

दिन में दिल में सन्नाटा था रातें भारी हैं मुझ पर,
सौतन नाचे खूब झमाझम विरहन रोये टिपर-टिपर ।।

मेरे पिया छोड़ गये मुझको मेरे बालम तेरे घर,
तेरा आंगन खूब झमाझम मेरी देहरी टिपर-टिपर ।।

बाहर तुम लड़कर आते हो घर में मुझसे लड़ते हो,
मुझ को घुनते खूब धमाधम मेरे आँसू टिपर-टिपर।।

लक्ष्मी माँ है लेकिन उसके सबको अलग-अलग तेवर,
कहीं बरसती खूब झमाझम कहीं टपकती टिपर-टिपर।।

🖋️डॉ. कौशल किशोर श्रीवास्त🖋️

(नतिउत्तर)

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