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30 Jun 2023 · 37 min read

मुक्तक 1

288
अहो भाग्य अपने जो प्रभु से मिलेंगे
चरण वंदना भाव से हम करेंगे
नहीं भेंट देने को है पास कुछ भी
उन्हें तो स्वयं को ही हम सौंप देंगे

287

गले से हमें राम जी ने लगाया
बहुत प्यार से पास अपने बिठाया
भिगोते रहे हम चरण राम जी के
नयन नीर आंखों ने इतना बहाया

286

त्याग द्वेष को, प्रीत बढ़ाओ,जपते रहो राम का नाम
भक्ति भाव के बस भूखे हैं, और नहीं कुछ चाहें राम
क्या पाओगे क्या खो दोगे,इस सबकी चिंता को छोड़
पूर्ण समर्पण और लगन से, कर्म करो सारे निष्काम

285
यहाँ जन्मे हमारे राम पावन है अयोध्या धाम
बसा है इसके कण कण में ,हमारे राम जी का नाम
सफल हो जाएगा जीवन करो श्री राम के दर्शन
करेंगे राम भव से पार बोलो राम जय जय राम

284

किए तप तो हरिद्वार आई है गंगे
अमिय की लिए धार आई है गंगे
हमारे ये तन मन सभी शुद्ध करती
हमें करने भव पार आई हैं गंगे
283
न गंगा का अपने अनादर करो तुम
न कूड़ा ये कचरा नदी में भरो तुम
कुपित हो गई मां तो क्या फिर करोगे
बुरे कर्म करने से थोड़ा डरो तुम

282

धरा पर प्रबल धार गंगा की आई
खनिज के ये भंडार सँग में है लाई
भागीरथ के तप बल से हमको मिली है
ये करने जगत का है उद्धार आई

281

जब वो अपना समझ के मिलते हैं
लगता है ज़ख्म दिल के सिलते हैं
ज़िन्दगी भी लगे महकने सी
प्यार के फूल दिल में खिलते हैं

280

यूँ महल चाहे कितने बना लीजिये
झूठ की नींव पर मत खड़ा कीजिये
लाख मीठा लगे झूठ सबको मगर
घूँट सच के ही कड़वे सदा पीजिये

279
तेरी झोली में सुख धन कभी कम न हो
तेरी राहें हों रोशन कहीं तम न हो
हर सफलता सदा तेरे चूमे कदम
ज़िन्दगी में कभी भी तेरी ग़म न हो

278
हर घड़ी तुझ पे खुशियाँ लुटाती रहे
तेरे आंचल में तारे सजाती रहे
तेरी राहों में बस फूल ही फूल हों
है ये आशीष तू मुस्कुराती रहे

277

रँग सारे छोड़ गेरुआ परिधान बन गया
गुरु वेश ओढ़ आदमी भगवान बन गया
दुष्कर्म से भरी हुई पापों की पोटली
इंसान आज देखिए शैतान बन गया

276

हमारे दिल में आठों याम सीता -राम रहते हैं
अधर पर पार्वती शिव के मनोहर नाम रहते हैं
बसा रहता हमारे नैन में है रूप कान्हा का
हमारी अर्चना में राम- शिव- घनश्याम रहते हैं

275

वैसे कहते हमको तुम तो खास हो
देते लेकिन रात -दिन संत्रास हो
आपसे हमको छलावा ही मिला
किस तरह फिर आप पर विश्वास हो

274

प्यार में की नहीं कमी हमने
बुन लिए गीत शबनमी हमने
सीधे उनके उतर गए दिल में
स्वर सजाए जो रेशमी हमने

273

क्या हुआ जो आज हर इक बंद दरवाजा हुआ
इक पुराना ज़ख्म भी जो आज फिर ताजा हुआ
याद रखना वक़्त सबका एक सा रहता नहीं
जो कभी था रंक वह भी एक दिन राजा हुआ

272

आया करवाचौथ का, साजन का त्योहार
चमकें, बिंदी- चूड़ियाँ, साड़ी, मेंहदी- हार
हसरत भरी निगाह से, देख रहा है चाँद
बनी पिया का चाँद है, गोरी कर शृंगार

271

दो घड़ी लेने दम चले आये
करने कुछ दर्द कम चले आये
चाह में कुछ सुकून पाने की
तेरी महफ़िल में हम चले आये

270

ऐ गगन तुम आज भरमाना नहीं
मेघ काले आज तुम लाना नहीं
हर नज़र होगी तुम्हारे चांद पर
चांद से कहना कहीं जाना नहीं
या
ऐ गगन तुम आज भरमाना नहीं
मेघ काले आज तुम लाना नहीं
हर नज़र होगी तुम्हारे चाँद पर
तुम उसे लेकर के छुप जाना नहीं
डॉ.

269

बादलों से जो याराना हो गया
खेलना छिपना छुपाना हो गया
‘अर्चना’ देखो तो करवा- चौथ पर
चाँद भी कितना सयाना हो गया

268

कहानी हम सुनाए जा रहे थे
दिलासा वो दिलाए जा रहे थे
हमारे दर्द को अपना समझकर
वो आँसू भी बहाए जा रहे थे

267

तुम्हें हर हाल में वादा निभाना चाहिए था
मुसीबत में हमारे साथ आना चाहिए था
भटककर जब भँवर के बीच में हम घिर गए थे
तुम्हें ये प्यार अपना तब जताना चाहिए था

266

ज़िंदगी की क़िताब पढ़ते हैं
दिल के पन्ने पे चित्र गढ़ते हैं
गलतियों को डिलीट कर खुद ही
सीढ़ियाँ हम शिखर की चढ़ते हैं

265
उम्र भर दौड़ते भागते हम रहे
रात सोती रही जागते हम रहे
जो लिखा था मुकद्दर में वो ही मिला
मन्नतें कितनी भी मांगते हम रहे

264

दुख में भी यूँ हँसे हम खुशी जोड़ ली
वक़्त के साथ हर राह ही मोड़ ली
ज़िंदगी कर रहे हैं गुजर इस तरह
धूप या चाँदनी जो मिली ओढ़ ली

263

याद करें अपने पुरखों को ,देकर अपना प्यार
नमन करें हम सबको दिल से, खोलें मन के द्वार
करें समर्पित भाव सुमन हम, पाने को आशीष
आज बने हम जो भी कुछ हैं, वे ही हैं आधार

262

चुन- चुन कर कुछ शब्द पिरोये
भक्ति भाव में खूब डुबोये
गाया जब -जब उन्हें झूमकर
पल -पल अपने नैन भिगोये

261

हमको हालात से जूझना आ गया
क्या गलत क्या सही सूझना आ गया
कितनी आसान अब ज़िंदगी हो गई
हर पहेली हमें बूझना आ गया

260

यहाँ हिमालय करे सूर्य का, सर्वप्रथम अभिनंदन
लगे हवा में घुला हुआ है भीना भीना चंदन
सदा दिलों में देश प्रेम की, बहती अविरल धारा
है महान ये देश हमारा, इसको शत शत वंदन

259

अजब खेल खेले सभी का मुकद्दर
कोई है भिखारी तो कोई सिकंदर
रँगा भी है कितने रँगों में ये जीवन
अलग रंग अंदर अलग रंग बाहर

258

इधर देखते हैं उधर देखते हैं
तुम्हारी ही हर पल डगर देखते हैं
गुजरते हो पर पास से जब हमारे
तुम्हें डाल उड़ती नज़र देखते हैं

257

आह ज़रा क्या दिल से निकली
बूँद सघन पलकों पर मचली
टूट गए जब सारे सपने
बरस गई आँखों से बदली

256

बाग दिल के उजड़ गए कैसे
हाल इतने बिगड़ गए कैसे
सात जन्मों की बात करते जो
चार दिन में बिछड़ गए कैसे

255

खुद की फ़ितरत बदल रही हूँ मैं
धीरे – धीरे सँभल रही हूँ मैं
छोड़कर बेवफ़ा की राहों को
अपने रस्ते निकल रहीं हूँ मैं

254
चंदन की सोहबत में माना हम महकेंगे
मगर साथ में लिपटे अनगिन साँप मिलेंगे
अगर समझदारी से हमने काम लिया तो
छोड़ बुराई अच्छाई के साथ चलेंगे

253

खुशनुमा हर सफ़र नहीं होता
सीधा हर रहगुज़र नहीं होता
हो दिलों में जहाँ पे दीवारें
घर वो होकर भी घर नहीं होता
252

महज गंगा नहाने से कटे है मैल इस तन का
विचारों की सफाई से कलुष मिट जाता है मन का
कदम चूमे उसी के हर समय हर पल सफ़लता ने
समझ जिसने लिया है इस जगत में मर्म जीवन का

251

आज भी देखो कल में बदल जाएगा
वक्त कैसा भी हो वो निकल जाएगा
ठोकरों तो लगेंगी तुम्हें हर जगह
पर सिकंदर वही जो संभल जाएगा

250

ज़िन्दगी तो हर किसी की इक हसीं तस्वीर है
रंग भरती कर्म के अनुसार ही तकदीर है
रंग मनचाहे मिलें तो खिलखिलाती ज़िन्दगी
रंग हों बदरंग तो ये पीर की जागीर है

249

बैठ मत जाना कहीं भी हाथपर तुम हाथ धरकर
भागना मत मुश्किलों से चलते रहना धैर्य रखकर
छोड़कर आलस्य को बस कर्म को अपना बनाना
देखना खुशियाँ मिलेंगी एक दिन फिर झोली भरकर

248
खुश हो मन तो लगता खुश संसार हमको
ज़िन्दगी वरना लगे दुश्वार हमको
दूसरों की बातों पर क्या ध्यान देना
पहले खुद से करना होगा प्यार हमको

247

क्या मिलेगा यूं स्वयं को क्रुद्ध करके
सोचना अपने ही मन को बुद्ध करके
शांति रखने से ही ये जीवन रहेगा
बस तबाही ही मिलेगी युद्ध करके

246

दिखाता है कुछ होता कुछ आदमी है
लबों पर हँसी पर पलक में नमी है
अजब दास्तां है यही ज़िंदगी की
मिले कितना भी पर लगे कुछ कमी है

245

कभी झूठी कभी सच्ची सुनाते हो बहुत बातें
हमें अपना समझकर भी छुपाते हो बहुत बातें
ग़ज़ब के तुम खिलाड़ी हो अज़ब किरदार रखते हो
घुली मिश्री के जैसी तुम बनाते हो बहुत बातें
डॉ

244

लुभाता है बड़ा मन को ये सावन का हसीं मौसम
टपकती बूंद हैं ठंडी हवा भी चल रही मद्धम
जिधर देखो उधर दिखते बड़े दिलकश नज़ारे हैं
निहारें तेज बारिश में लगा रंगीन छाते हम

243

नहीं है हाथ में अपने किसी से प्रीत हो जाना
किसी की दर्द सुनकर ही अचानक गीत हो जाना
न अपना होश रहता है न दिल की भी खबर कोई
बदल ही ज़िंदगी देता किसी का मीत हो जाना

242

दिल न कुछ और अब समझता है
तेरी खुशबू से ये महकता है
प्यार की राह पे चला जबसे
दिल तेरे नाम से धड़कता है

241

ज़ख्मों को बस हवा मिली है, पर सीने वाला नहीं मिला
सुख तो सबने बाँटे लेकिन, ग़म पीने वाला नहीं मिला
यूँ तो जीते रहे ज़िंदगी ,लेकिन अब तक समझ न पाये
जिसने तुझको जिया खुशी से,वह जीने वाला नहीं मिला

240
अब न आँखों को रुलाना चाहती हूँ
चैन से दो पल बिताना चाहती हूँ
ज़िंदगी तूने नचाया है बहुत पर
अब न मैं झाँसे में आना चाहती हूँ

239

मान वतन का जो करती थी, वह झाँसी की रानी थी
बनकर काल प्राण हरती थी ,वह झाँसी की रानी थी
जिसका नाम जरा सुनकर भी, दुश्मन थर्रा जाते थे
कभी न अरि से जो डरती थी, वह झाँसी की रानी थी

238

कौन सी रात आखिरी होगी
कौन सी बात आखिरी होगी
वक़्त की चाल कौन समझा है
कौन सी मात आखिरी होगी

237

मैं को हम कर लीजिए
मैं को कम कर लीजिए
जीत लोगे ज़िंदगी
मैं को सम कर लीजिए

236

पूरा हर कोई ख्वाब कैसे हो
प्यार में हर हिसाब कैसे हो
माना तुम ज़िंदगी हमारी हो
हाँ में पर हर ज़वाब कैसे हो

235

हौसलों से लो उड़ाने भर गगन की
राह चुनना तुम हमेशा ही अमन की
मौन रहने से समस्या हल न होगी
बात करने से खुलेगी गाँठ मन की

234
काम अपने वतन के जो भी आयेगा
लाल वो भारती मां का कहलायेगा
ओढ लेगा तिरंगा कफ़न जो यहां
नाम हो वो जगत में अमर जायेगा

233
राम को अपने जीवन में धारण करो
अपने तन और मन दोनों पावन करो
मार देना अगर पनपे रावण कहीं
सीख जो भी मिली उसका पालन करो

232

कितनी पावन कहानी है श्री राम की
शब्द तुलसी के वाणी है श्री राम की
अपहरण माता सीता का जब हो गया
आँखों से बहता पानी है श्री राम की
231

हमेशा धूप में हमको बुजुर्गों से मिली छाया
हमें ग़म कोई कैसा हो हरा बिल्कुल नहीं पाया
चले अब जा रहे हैं वो छुड़ाकर हाथ वो हमसे
हमारे साथ यादों का रहेगा पर सदा साया

230

संत कबीरा की मधु वाणी, सच की हर राह दिखाती है।
ये कुरीतियों से इस जग की, हम सबको सदा बचाती है।
पढ़ा प्रेम का ढाई अक्षर, मानवता का पाठ पढ़ाती,
बहा ज्ञान की गंगा दिल में, हमको जीना सिखलाती है।

229

ज़िंदगी में गलत काम मत कीजिए
नफरतों को कभी मत हवा दीजिए
है कमाना अगर जग के बाजार में
नेक कर्मों की दौलत कमा लीजिए

228

किताबों से कहीं ज्यादा पढ़ाती ज़िन्दगी हमको
कभी पतझड़ कभी सावन दिखाती ज़िन्दगी हमको
हमेशा कैद रखती है हमें साँसों के पिंजरे में
इशारों पर सदा अपने नचाती ज़िन्दगी हमको

227
हरिक मौसम में हमने चाय से यारी निभाई है
खुशी कोई भी हो पर चाय के बिन कब मनाई है
ग़मों से भी हमारी चाय का है इक दिली नाता
यही अवसाद में अक्सर हमारे काम आई है

226

काम दिन का जगमगाना, रात का तम से उलझना
ज़िंदगी में है सभी को, धूप छाया से गुजरना
टेढ़े मेढे रास्ते हैं पर न मंज़िल की ख़बर है
वक़्त का पढ़कर इशारा बस यहां पर है सँभलना

225

अज़ब ही रंग तुमने दोस्ती के अब दिखाए हैं
करा पूरा दिया अहसास ये हम तो पराए हैं
बड़ी बातें, बड़े सपने बड़े वादे किए झूठे
समय पड़ने पे ही हम सच तुम्हारा देख पाए हैं

224
वीरों की कुर्बानी को हम, व्यर्थ न जाने भर देंगे
दुश्मन के रग रग में अपना, इतना भर हम डर देंगे
कुचलेंगे हर आतंकी को ,याद हमेशा ये रखना
मिनटों में हम तेरे सारे , नष्ट ठिकाने कर देंगे

वीरों की कुर्बानी को हम, व्यर्थ न जाने भर देंगे
दुश्मन तेरी रग रग में हम, अब भर इतना डर देंगे
कुचलेंगे हर आतंकी को ,याद हमेशा रखना तू
मिनटों में हम इनके सारे , नष्ट ठिकाने कर देंगे

डॉ अर्चना गुप्ता
12.05.2025

223

बनी रहे ये तुम्हारी जोड़ी बना रहे ये अटूट बंधन
यही दुआ है सदा हमारी रहे खुशी से भरा ये दामन
हों पूर्ण सारे तुम्हारे सपने, उड़ान ऊँची भरो गगन में
सुमन खिलें प्यार के चमन में, रहे महकता तुम्हारा जीवन

222

कठिनाइयों ने सत्य का दर्पण दिखा दिया
आँखों पे आवरण था जो उसको हटा दिया
उनकी भी असलियत तो तभी सामने आई
जिनके लिए था दांव पे जीवन लगा दिया

221

पड़े बौछार रंगों की फिसलते पाँव फागुन में
गले लगने को साजन के मचलते पाँव फागुन में
गुलाबी देखकर मौसम हिलोरे दिल में जब उठती
सँभाले से न तब देखो सँभलते पाँव फागुन में

220

गलतफहमी की हर दीवार आओ हम गिरा दें
दिलों से नफ़रतों की खाई को आओ मिटा दें
हरा रँग हो या केसरिया प्रकृति ने ही दिए हैं
सभी रँग प्यार के हैं आओ सबको हम बता दें

219

खास अपना मानते हैं जो हमें
दूर से पहचानते हैं जो हमें
भूल से भी खोना मत उनको कभी
हमसे ज्यादा जानते हैं जो हमें

218

ये सच है मुश्किलों को कम नहीं झेला है हमने
यहाँ हर खेल जोखिम से भरा खेला है हमने
रहे मशगूल इतना महफ़िलों के शोर में हम
लगाया दिल में बस तन्हाइ का मेला है हमने

217

हमें उँगली पकड़कर आपने जीना सिखाया है
मुसीबत में हमेशा आपको ही पास पाया है
भले अब दूर हो हमसे कहीं दिखते नहीं पापा
हमारे साथ रहता आपका हरदम ही साया है

216

फगुनाई को देख आम देखो बौराया है
कोयल ने भी कूक कूक कर शोर मचाया है
मची हुई है धूम हर तरफ होली के रंगों की
फूलों की खुशबू से सारा जग महकाया है
डॉ

215

यूँ तो प्रयागराज से हम लौट आए हैं
आंखों में दृश्य पर सभी अब तक समाए हैं
अद्भुत नज़ारा हमने महाकुंभ का देखा
हम भाग्यवान हैं तभी कर स्नान पाए हैं

214
पहन लिए हैं सृष्टि ने, फूलों के अब हार
खेतों ने भी कर लिया, बांसती शृंगार
मन में छाई है खुशी, हुए सभी दुख दूर
हवा बसंती चल रही, महक रहा संसार

213

गीत मेरा अधर से क्या तूने छुआ
एक प्यारा सा अहसास दिल को हुआ
बज उठीं हर तरफ़ सैकड़ों घंटियाँ
जैसे पूरी हुई कोई मेरी दुआ

212

तुम्हारे प्यार ने दुनिया हमारी जगमगाई है
खिलाकर फूल दामन में खुशी हमको थमाई है
के

211

भटकते फिर रहे थे हम खुशी अब हाथ आई है
नही ये एक दिन की है ये बरसों की कमाई है
निराशा में न आशा को कभी भी छोड़ देना तुम
हमारी ज़िंदगी ने बात ये हमको सिखाई है

210

बारह वर्षों में आता जो, जग में अनुपम महाकुंभ है
प्रेम सौहार्द आस्थाओं का,अद्भुत संगम महाकुंभ है
यही सनातन सत्य धर्म है, साधु – संत का महापर्व ये
सबको मोक्ष दिलाने वाला,सुधा-सोम सम महाकुंभ है

209

फ़र्ज़ समझकर इसको अपना, हिंदी को स्वीकार करो
बने राष्ट्रभाषा हिंदी ही, मिलकर यही प्रचार करो
रहो किसी भी कोने में तुम, कोई भी बोलो बोली
अगर देश से प्यार तुम्हें है, बस हिंदी से प्यार करो

208

करते रहो सुकर्म को सोचो न फल कभी
कमजोर को दिखाना नहीं अपना बल कभी
आलस्य में अगर न किया काम ध्यान से
तो देख लेना ये नहीं आएगा पल कभी

207

नया ये वर्ष देखो सुर्खियों में छा गया है फिर
नई आशाओं को लेकर सवेरा आ गया है फिर
ये परिवर्तन सभी की ज़िंदगी का है अहम हिस्सा
कलेंडर भी नया ये सबके दिल को भा गया है फिर

206

इक साल ज़िन्दगी का ये फिर से गुज़र गया
खिलकर के फूल शाखा से अपनी बिखर गया
जो ख़्वाब रह गए थे अधूरे ही अब तलक
नव वर्ष के ये हाथों उन्हें सौंप कर गया

205

एक दूजे के जब हम नहीं हो सके
चैन की नींद फिर हम नहीं सो सके
बस दिखावे को ही मुस्कुराए सदा
दिल तो रोता रहा हम नहीं रो सके

204
मुहब्बत गीत गाती है करिश्मा आपका है ये
हमें खुद से मिलाती है,करिश्मा आपका है ये
अगर ठोकर लगी भी तो संभाला आपने हमको
उमर मंज़िल को पाती है करिश्मा आपका है ये

203
आप थे साथ वरना खो जाते
लौटकर फिर कभी न घर आते
आप हैं तो बहार जीवन में
वरना खुशियाँ कहाँ से हम पाते

202
बात उनकी कभी टाली नहीं जाती हमसे
आस पर झूठी भी पाली नहीं जाती हमसे
दिन को जैसे भी हो हम काट लिया करते हैं
रात विरहा की सँभाली नहीं जाती हमसे

201

नज़र से मय मुहब्बत की चलो पीते पिलाते हैं
मिलाकर हम स्वरों से स्वर प्रणय के गीत गाते हैं
पकड़कर हाथ मेरा ले चलो ऐसे जहां में तुम
जहाँ पर प्यार के ही फूल खिलते मुस्कुराते हैं

200

भाग करते नहीं घटा देते
जोड़ के बदले कर गुणा लेते
ज़िंदगी में न कोई ग़म होता
नाव मेरी अगर तुम्हीं खेते

199
मोड़ आते रहे कहानी में
पर न आई कमी रवानी में
क्या बताएं तुम्हें कथानक का
आँख डूबी हुई है पानी में

198
तुझे ही देखने को बस मेरी आँखें तरसती हैं
ये डूबी आँसुओं में हैं मगर चुप- चुप सिसकती हैं
भले ही एक दूजे से बहुत हम दूर हैं लेकिन
ये साँसें तो तुझी को याद कर पल पल धड़कती हैं
197

जो असंभव है वो बात कैसे लिखूँ
तू बता दिन को मैं रात कैसे लिखूँ
जब नदी के हैं हम दो किनारे से तो
अपनी होगी मुलाकात कैसे लिखूँ

196

हर घड़ी ज़िन्दगी की सुहानी लिखें
प्यार से हम सजी ज़िंदगानी लिखें
भूलकर सारी दुनिया के ग़म आज फिर
मीत हम तुम नई इक कहानी लिखें

195
दर्द सहता हज़ार रहता है
बस तेरा इंतजार रहता है
अब तो कुछ भी नहीं इसे भाता
दिल बड़ा बेकरार रहता है

194
दिखाकर स्वप्न सुन्दर एक पल में तोड़ जाते हो
हमें सागर की लहरों के सहारे छोड़ जाते हो
समझ पाये न अब तक आपके व्यवहार को हैं हम
क्यों हर तूफान में मुँह अपना हमसे मोड़ जाते हो

193

तुम्हीं से आरम्भ तो तुम्हीं पे है खत्म होती मेरी कहानी
तुम्हारे बिन ज़िंदगी है सूनी तुम्हारे होने से है सुहानी
तुम्हीं हो आराध्य मेरे मन के तुम्हीं से रोशन है मेरी दुनिया
तुम्हीं से चलती हैं साँस मेरी तुम्हीं तो हो मेरी ज़िन्दगानी

192
चले बिना पाँव झूठ कितना,ये बात हम सबको ही पता है
मगर नहीं सत्य हारता है ये सच किसी से नहीं छिपा है
मिला है जो भी हमें यहाँ पर वो है हमारा ही तो कमाया
किए हैं जिसने भी कर्म जैसे, वही लकीरों में बस लिखा है

191

वफ़ा को तुम हमारी और कोई नाम मत देना
लगाकर दिल हमीं से तुम कोई इल्ज़ाम मत देना
निभाना ही तुम्हें होगा हमेशा अपने रिश्ते को
मुहब्बत के सिवा हमको कोई पैग़ाम मत देना

190

जुदाई की घड़ी लंबी कटेंगे रात -दिन कैसे
प्रतीक्षा है बड़ी लंबी कटेंगे रात -दिन कैसे
नहीं है नींद आंखों में न दिल को चैन है कोई
है यादों की लड़ी लंबी कटेंगे रात- दिन कैसे

189
यूँ रंगमंच के तो कलाकार आप हैं
जीते अनेक रूप वो किरदार आप हैं
अभिनय भी आपका लगे इतना सजीव है
कहते सभी कि उम्दा अदाकार आप हैं

188
जीवन है रंगमंच कलाकार हम सभी
जीते अनेक रूप के किरदार हम सभी
अभिनय हमारी ज़िन्दगी में है बहुत अहम
कहने को ही नहीं हैं अदाकार हम सभी

187
डरना देखो ज़रा नहीं है,दूर बहुत ही कूल भले हों
हमको चलते ही जाना है ,बीच राह में शूल भले हों
हमें हमारी यही कोशिशें,मंज़िल तक लेकर जाएंगी
कभी हौसला नहीं छोड़ना, धाराएं प्रतिकूल भले हों

186
डरना हमको ज़रा नहीं है,दूर बहुत ही कूल भले हों
चलते ही जाना है हमको,बीच राह में शूल भले हों
हमें हमारी यही कोशिशें,मंज़िल तक लेकर जाएंगी
नहीं हौसला हमें छोड़ना, धाराएं प्रतिकूल भले हों

185

इस ज़िंदगी ने तो सदा हमको सताया है
पाने की हमने चाह में कितना गँवाया है
फिर भी न टूटने दिया इस दिल को ‘अर्चना’
हँस -हँस के दर्द हमने गले से लगाया है

184

देती हमें हैं प्रेम का संदेश बेटियाँ
संस्कार से सजाती हैं परिवेश बेटियाँ
बेटों से कम नहीं रहीं हैं बेटियाँ कभी
करतीं बड़ी मिसालें रहीं पेश बेटियाँ

183
जब मायके से जाती हैं परदेश बेटियाँ
ससुराल के ही पहनती हैं वेश बेटियाँ
लेकिन जड़ों से हो नहीं पातीं वो दूर हैं
रखतीं हैं अपने दिल में अपना देश बेटियाँ /
देतीं हमेशा प्रेम का संदेश बेटियाँ

182
हम राज़ अपने हर किसी को खोलते नहीं
चलते हैं अपनी राह पे पग मोड़ते नहीं
हम अपने दिल की बात ही सुनते समझते हैं
क्या चार लोग कहते हैं हम सोचते नहीं

181

ये क्या किया जो दिल को खिलौना बना दिया
मन भर गया तो पास से अपने हटा दिया
लेकिन समझ में आएगा जब मोल प्यार का
रोओगे ज़ार-ज़ार कि क्या कुछ गँवा दिया

180

हम चुप रहे कभी किसी को कुछ नहीं कहा
हर दर्द मुस्कुराते हुए हमने है सहा
जब मान पर हमारे कोई बात आई तो
टूटे नहीं बिखरे’नहीं संयम बना रहा

179

ध्येय बिन कोई मंज़िल को पाता नहीं
गीत कोई बिना लय के भाता नहीं
हमने माना मुहब्बत ये इक जंग है
पर जिया प्यार के बिन है जाता नहीं

178
रग रग में तू है तुझको भुलाएँ भी किस तरह
रोती हुई आँखों को चुपाएँ भी किस तरह
तुझसे ही थीं बहारें, तुझी से थी हर खुशी
अब बिन तेरे ये उम्र बिताएँ भी किस तरह

177

ज़िंदगी है गीत इसको गुनगुनाना चाहिए
वक़्त की लय ताल से इसको सजाना चाहिए
दौर जीवन में कभी भी एक सा रहता नहीं
इसलिए हर हाल में बस मुस्कुराना चाहिए

अगर ऐसे

176
नस नस में तू है तुझको भुलाएँ भी किस तरह
रोती हुई आँखों को चुपाएँ भी किस तरह
तुझसे ही थीं बहारें, तुझी से थी हर खुशी
अब बिन तेरे ये उम्र बिताएँ भी किस तरह

175

चलते रहे थके नहीं कब हौसला था कम
आईं भी अड़चनें बड़ी रोके न पर कदम
हर हार को बदलते रहे जीत में यहाँ
लक्षित शिखर को इसलिए ही छू सके थे हम

174
गोवर्धन पर्वत उठा, बचा लिया था गाँव
शीश कालिया नाग पर, थिरक उठे थे पाँव
ऐसे गिरिधर नाथ को,बारम्बार प्रणाम
हटा दुखों की धूप जो,देते सुख की छाँव

173

छिप गई वो आज देखो चाँद की है चाँदनी
दीप जलते देखकर शरमा गई है चाँदनी
जगमगाहट से भरी दीपावली की रात अब
चाँद के बिन भी लगे जैसे खिली है चाँदनी

172
रात घिराकर तम घना, देती है आराम
सूरज देकर दिन हमें, कहे करो अब काम
अन्न हमें देती धरा , नभ देता बरसात
अजर अमर हे सत् प्रकृति,शत शत तुझे प्रणाम

171

वो तेरा ओंठ निचला काटकर पलकें झुकाना
वो घूंघट की ज़रा सी ओट लेकर मुस्कुराना
चुराए चैन दिल का नींद रातों की यूँ मेरी
मैं बन कर रह गया हूं सिर्फ तेरा ही दिवाना /
उड़ाये होश मेरा आज तक भी इस तरह से
कहें हैं लोग देखो आ गया मजनूं दिवाना
डॉ

170
इश्क की अब तलक खुमारी है
उम्र उनके बिना गुजारी है
वो बसे हैं यूँ आज भी दिल में
क्या मुहब्बत अज़ब हमारी है

169
असुर न कोई बच सके ,ऐसा हो संग्राम
पापी रावण मारकर,विजय करो श्री राम
पर्व दशहरा आ गया, लेकर ये संदेश
चलो राम की राह पर, बुरे करो मत काम
168

रुक्मणी बनके क्यूँ रोज पीड़ा सहूँ
राधिका बनके क्यूँ एक विरहन रहूँ
प्रेम जब हो गया श्याम तुमसे तो मैं
क्यूँ न जोगन बनूँ खुद को मीरा कहूँ
167
दुखा कर दिल नहीं भरना कभी खलिहान तुम अपना
सुनो मत साधना निर्दोष पर संधान तुम अपना
जगत में चाँदनी झूठी चमकती चार दिन केवल
न खोना भूल कर भी दम्भ में सम्मान तुम अपना

166
तंत्र सब कारगर नहीं होते
ईंट- गारे से घर नहीं होते
प्यार होता जहाँ दिलों में है
उस जगह पर समर नहीं होते

165
इस ज़िंदगी में जो जरा आगे निकल गए
कद बढ़ते ही विचार भी उनके बदल गए
देते हैं आज ठोकरें पाषाण की तरह
लगता है भूल अपना वो जैसे हैं कल गए

164
एक मनचली अल्हड़ लड़की, जब मुझमें आ जाती है
कानों में गुपचुप कुछ कहकर, हँसी मधुर ले आती है
कभी खींच लेती वह मेरी, परिपक्वन की चादर को
और कभी बचपन से मेरे, आकर मुझे मिलाती है
डॉ

163
अगर मचले कभी जो दिल मचलने तुम नहीं देना
इसे मनमानियां अपनी ही करने तुम नहीं देना
निकल जाए अगर भूले से भी दिल हाथ से अपने
तो फिर हर हाल में इसको बिखरने तुम नहीं देना

162
बड़े वे भाग्यशाली दोस्त जिनके साथ चलते हैं
सदा सद्भाव के ही बस दिलों में दीप जलते हैं
यहाँ पर खून के रिश्ते दगा अक्सर हैं दे जाते
मगर ये दोस्त ही हैं जो कभी हमको न छलते हैं
डॉ
161
हमेशा दोस्त ही हैं जो हमारे साथ चलते हैं
हमारे ख़्वाब उनके ख़्वाब दोनों साथ पलते हैं
भले ही दूर हों मीलों ,मिले वो हों न बरसों से
मगर दिल में हमेशा दोस्ती के दीप जलते हैं

160
अगर ठोकर लगे तो क्या, संभलना है तुझे
भरम के जाल से बाहर निकलना है तुझे
न कर विश्वास तू यूँ हर किसी की बात पर
यहाँ पर शख़्स को पहले समझना है तुझे

159

तेरे कहने पे ही तुझसे किनारा कर लिया मैंने
लगी जब प्यास आँसू से गुजारा कर लिया मैंने
सताती जब रहीं हर वक़्त आ आकर तेरी यादें
खुशी से दर्द को अपना सहारा कर लिया मैंने

158

तुमने मेरा कहा सुना ही नहीं
रास्ता प्यार का चुना ही नहीं
कैसे होता बताओ ये पूरा
ख्वाब कोई भी जब बुना ही नहीं

157

मन मेरा देगा गवाही तो लिखूँगी
राष्ट पथ पर हो सिपाही तो लिखूँगी
इस कलम की बस यही तो चाहना है
हो न झूठी वाह वाही तो लिखूँगी

156

तुम हमारा हो ख़्वाब लिख देंगे
तुम ही दिल हो जनाब लिख देंगे
प्यार करते हैं हम तुम्हें इतना
तुम पे हम इक किताब लिख देंगे

155

वही सदी इक्कीसवीं है ये, नए हैं ढंग जीने के
पुराने ज़ख्म हैं लेकिन नए अंदाज सीने के
वही रिश्ते वही नाते वही परिवार के सुख दुख
वही आँसू , तरीके पर अलग हैं उनको पीने के

154

गर मुहब्बत नही हुई होती
तेरी आदत नहीं हुई होती
ख़्वाब बोता न तू इन आंखों में
मैं भी आहत नहीं हुई होती

153

बढ़े कद कितना भी ऊँचा कभी अभिमान मत करना
गलत राहों पे चलकर अपनी तुम पहचान मत करना
नहीं खाली कभी होगी दुआओं से भरी झोली
दुखाकर दिल कभी माँ-बाप का अपमान मत करना

152

आप चुन लीजिए अपने आकाश को, तो सितारे भी हिस्से में आ जाएंगे
आप हिम्मत से अपने बढ़ाएं कदम, एक दिन अपनी मंज़िल भी पा जाएंगे
अपने दिल से ग़मों को लगाएं नहीं, हार से भी कभी हार मानें नहीं
देखना आप चूमेंगे इक दिन शिखर मेघ खुशियों के जीवन में छा जाएंगे.

151

तुम्हारे इश्क में पागल दिवानी हो गई हूँ
लगे है प्रेम की मैं इक कहानी हो गई हूँ
उड़ाने भर रही हूँ नित नये सपने संजोकर
परी मासूम सी मैं आसमानी हो गई हूँ

150

मैं मन की भावनाओं के मुताबिक शब्द चुनती हूँ
उन्हें मैं ढाल छंदों में नया संसार बुनती हूँ
डुबा देती हूँ खुद को इस कदर मैं भाव गंगा में
उन्हें जब बाँधकर सुर में सुनाती और सुनती हूँ

149

शब्द शब्द में भाव पिरोकर ,बना दिया है हार
मेरे इन भावों को समझो, ये है मेरा प्यार
मेरे दिल की हर धड़कन में, बसा तुम्हारा नाम
आती जाती साँस कहे ये, करो मुझे स्वीकार.

148

सीधी सच्ची यही कहानी है
जिंदगी है तो मौत आनी हैं
बेवफाई तो काम है इनका
दोस्ती पर हमें निभानी है

147

आप करते तो नखरे बहुत हैं
पर हमें लगते अच्छे बहुत हैं
हम तो हैं आपके ही दिवाने
आप पर जां छिड़कते बहुत हैं

146
भरा भावनाओं के जल से मन वो गहरा कूप है
कहीं दर्द की छांव घनी तो, कहीं खुशी की धूप है
कितनी भी हम कोशिश कर लें, सत्य यही है ‘अर्चना’
चलना पड़ता हमें हमेशा जीवन के अनुरूप है

145
निभाना ज़िन्दगी से भी कहाँ आसान होता है
जुटाता सिर्फ जो माया बड़ा नादान होता है
कमाले कितनी भी दौलत नहीं कुछ साथ जाएगा
किये कर्मों का अपने तो यहीं भुगतान होता है

144

मतदान केंद्र पर जायेंगे
जाकर के बटन दबायेंगे
चुनकर फिर अपना प्रत्याशी
हम अपना फ़र्ज़ निभायेंगे

143

फागुन आया है फिर लेकर, रंगों की बौछार
मस्ती में मन झूम रहा है,,बरस रहा है प्यार
कुदरत ने भी पहन लिए हैं, नवल नवल परिधान
मंगलमय हो आप सभी को, होली का त्योहार

142
कभी जब नैन मतवारे किसी से चार होते हैं
नहीं तलवार से कम तेज उनके वार होते हैं
लगा लेते मिले हर दर्द को हँसकर गले अपने
न रहता जोर दिल पर और हम बेज़ार होते हैं

141

कहीं मीरा बनी यह भक्ति का रसपान करती है
कहीं बन लक्ष्मी बाई वीरता का गान करती है
चली आई है कितने रूप धरते आज तक नारी
यही बन धाय पन्ना ममता भी कुर्बान करती है

140
नज़र नज़र से मिले और प्यार हो जाए
हमें किसी का शुरू इंतज़ार हो जाए
हमारी जिंदगी में काश आए दिन ऐसा
किसी के इश्क में दिल बेकरार हो जाए

139

गर न बोलोगे तुम कुछ न बोलेंगे हम
गाँठ मन की लगी कैसे खोलेंगे हम
दर्द की बस हमारे यही अब दवा
थोड़ा हँस लेना तुम थोड़ा रोलेंगे हम

138
मुझको अपनों का मिला, इतना सारा प्यार
इससे बढ़कर है नहीं, कोई भी उपहार
दिया दुआओं का मुझे, है अतुलित भंडार
समझ नहीं आता करूं, कैसे मैं आभार

137

अजब इस दिल की फितरत है, कभी हंसता कभी रोता
हमारे ज़ख्म सारे आंसुओं की धार से धोता
इसी के दम पे चलती है हमारी जिंदगी पूरी
धड़कता ही रहे दिन रात इक पल भी नहीं सोता

136

बाद मुद्दत के हम मिल रहे हैं
फिर मुहब्बत के गुल खिल रहे हैं
वक़्त ने जो उधेड़े थे सपने
साथ मिलकर उन्हें सिल रहे हैं

135

हजार ग़म हैं तुम्हें कौन सा बताएं हम
हजार ज़ख्म तुम्हें कौन सा दिखाएं हम
न जाने कितनी हैं बातें तुम्हें सुनाने को
ज़रा सा पास कभी बैठो तो सुनाएं हम
या
हज़ार ग़म हैं तुम्हें कौन सा बताएं हम
हज़ार ज़ख्म हैं वो किस तरह दिखाएं हम
न जाने कितनी ही बातें सुनानी हैं तुमको
ज़रा सा पास कभी बैठो तो सुनाएं हम

134

पास अपने तुझे ही बुलाएंगे हम
रस्म उल्फत की सारी निभाएंगे हम
चाहे कैसा भी रुख इन बहारों का हो
ज़िन्दगी साथ तेरे बिताएंगे हम

133

दिल में अपने तुझे ना बसाएंगे हम
ये कहा ज़िन्दगी भर निभाएंगे हम
यदि अदालत का तेरी यही फैसला
पास अपने न तुझको बुलाएंगे हम

132

हिज्र में रात – दिन हम तड़पते रहे
ख्वाब पतझड़ के जैसे बिखरते रहे
ज़िंदगी में न सावन की आई बहार
नैन ही बादलों से बरसते रहे

131
बड़ी शान से नीलगगन में, लहर लहर लहराता है
हर इक हिंदुस्तानी इसको,अपना शीश झुकाता है
लगे बहुत ही प्यारा इसका,श्वेत- हरा केसरिया रँग
यही तिरंगा हमको अपनी,इक पहचान दिलाता है
डॉ

130

झूठ सदा कब प्यारा लगता
सच पर पर्दा ढककर रखता
चोट मगर गहरी लगती है
वार कभी जब इसका पड़ता
डॉ
129
अपनी है पर न अपनी लगे ज़िंदगी
वक्त के संग चलती रहे ज़िंदगी
धड़कनों से हमारी जुड़ी है मगर
जाती चुपचाप है छोड़ के ज़िंदगी

128
बदलते दिन बदलती रात
बदल जाती है पल में बात
करें किस पर भरोसा हम
यहाँ अपनों से मिलती घात

127

हाथ अपना न छूटने देंगे
सुख किसी को न लूटने देंगे
जिसमें हम देखते सदा खुद को
आइना वो न टूटने देंगे

126

गर बिछड़ जाएं हम तो भी रोना न तुम
आँसुओं से ये चेहरा भिगोना न तुम
दौर ऐसा कभी भी अगर आये तो
है कसम आस मिलने की खोना न तुम

125

जहाँ पर फूल होते हैं , वहाँ पर खार भी होते
कभी सुख में कभी दुख में लगाते हम रहें गोते
हमारी ज़िंदगी में कुछ नहीं देखो हमारा है
अगर पाते इधर कुछ हम,उधर रहते भी हैं खोते

124

तुम्हारे स्वप्न अपने नैन में हर पल संजोती हूँ
बिछड़ने के खयालों से भी डरती और रोती हूँ
समझने की करो कोशिश,गलत समझो नहीं मुझको
मैं तुमसे प्यार करती हूँ तभी नाराज़ होती हूँ

123
तुम्हारे ही सपन हम नैन में हर पल संजोते हैं
बिछड़ने के खयालों से भी डरकर खूब रोते हैं
समझने की करो कोशिश,गलत समझो नहीं हमको
बहुत ही प्यार है तुमसे तभी नाराज़ होते हैं
डॉ
09।11।2013

122

टिकी नज़रें गगन पर हैं निकल भी चाँद अब आओ
छिपे हो बादलों में क्यों जरा मुखड़ा तो दिखलाओ
रखा उपवास है मैंने करूं पूजन तुम्हारा मैं
सुहागन ही रहूँ मुझको यही वरदान दे जाओ

121

लुटाकर चैन इस दिल का बहुत लाचार बैठे हम
तुम्हारी बात में आकर सभी कुछ हार बैठे हम
कलाकारी तुम्हारी हम समझ अब तक नहीं पाए
कुल्हाड़ी पाँव पर अपने स्वयं ही मार बैठे हम
03-11-2023

120

फूल चुन- चुन के लाई तुम्हारे लिए
रीत हर इक निभाई तुम्हारे लिए
तुम रहो खुश हमेशा यही सोचकर
पीर सँग की सगाई तुम्हारे लिए

119

रीत सब तोड़कर चली आयी
रिश्ते सब छोड़कर चली आयी
प्यार में तेरे श्याम बन जोगन
जग से मुंह मोड़कर चली आयी

118
मुझे तूने अभी जाना नहीं है
लगे अच्छे से पहचाना नहीं है
मुहब्बत सात जन्मों का तराना
ये कुछ दिन का ही बस गाना नहीं है

117

हमने खुद को महकाया है , सुन्दर भावों के चंदन से
खूब सजाया है हिंदी को,मिलकर इसके स्वर व्यंजन से
बिन सोचे समझे ही हमने ,पाप अनेकों कर डाले हैं
लेकिन पुण्यों का फल पाया, हमने केवल गुरु वंदन से
09 08 2023

116

चल रहे हैं एक पथ पर मन का पर रस्ता जुदा है
जब हो समझोते का जीवन तब सुकूँ किसको मिला है
प्रेम की आवाज़ छिप जाती है मतभेदों के पीछे
और लगता है सफ़र अपना यहाँ काँटों भरा है

11.07.2023
डॉ अर्चना गुप्ता

115
बात दिल की सुनी वंदना हो गयी
आत्म चिंतन किया साधना हो गयी
शब्द को जब पिरो गीत मैंने रचा
तो वो भावों भरी अर्चना हो गयी
30-06-2023

114
बार बार दिल तोड़ा तुमने , फिर भी है अपनाया हमने
बीती बातों को बिसरा कर, तुमको गले लगाया हमने
तुमने समझा जीत गए तुम, लेकिन ये थी हार तुम्हारी
टूट टूट कर बिखर गये पर , तुमको नहीं बताया हमने

113
उड़े हैं रंग फागुन के हुआ रंगीन है जीवन
अधर पर गीत हैं मीठे बजाती राग है धड़कन
गुलाबी गाल यूं दिखते लगी हो शर्म की लाली
मनाने रंग का उत्सव हिलोरें ले रहा तन -मन

112
शब्द उनके बहुत नुकीले हैं
ज़ख़्म जिनसे हमारे छीले हैं
बात ऐसी लगी है इस दिल को
आज तक नैन अपने गीले हैं

111
कभी भी दुख के अंधेरों से तुम नहीं डरना
हमेशा उम्र की गागर को प्यार से भरना
खयाल बस रहे छूटे जमीं न पैरों से
गगन को छूने की हसरत को कम नहीं करना

110
अगर अपने ग़म हम सुनाने लगेंगे
तो पत्थर भी आँसू बहाने लगेंगे
मिली जो हमें ये मुखौटों की दुनिया
समझने में इसको ज़माने लगेंगे

109
मुहब्बत का कभी भी तुम यहाँ व्यापार मत करना
तराजू पर कभी भी तोल कर तुम प्यार मत करना
बिछड़ना और मिलना तो है बस तकदीर के हाथों
लगाकर रोग शक का दिल कभी बीमार मत करना

108
अगर विश्वास उठ जाता कभी वापस नहीं आता
पुराना रूप रिश्तों का कभी फिर बन नहीं पाता
तभी तो चाहिए रखना समय का ध्यान जीवन में
फ़िसल जाता समय जब हाथ से अफ़सोस रह जाता

107
विस्फोटों से जोशीमठ का ,छलनी सीना कर डाला
गहरी गहरी खोद सुरंगें, उसे खोखला कर डाला
भूत पर्यटन का सिर चढ़कर,खोल रहा है सच्चाई
यौवन की खातिर जोशीमठ, देखो बूढ़ा कर डाला
106
बहुत आँखें तुम्हारी बोलती हैं
छिपे सब राज़ दिल के खोलती हैं
कभी तो लगने लगता है हमें ये
हमारा प्यार पल पल तोलती हैं

105
हमको’ ऐसा लगे हमको वैसा लगे
क्या बतायें हमें हमको कैसा लगे
होश में हम नहीं हैं तुम्हारे बिना
एक दिन भी हमें वर्ष जैसा लगे

104
बोलना हो या हो लिखना हिंदी में ही हम बताएं
काम हिंदी में करें उसमें नहीं हम हिचकिचाएं
याद रखना होगा हमको मातृभाषा माँ हमारी
स्थान देकर सबसे ऊँचा मान हिंदी का बढ़ाएं

103
उमीदों के चरागों को कभी बुझने नहीं देना
मुहब्बत की सदाओं को कभी रुकने नहीं देना
समय अच्छा बुरा कोई भी हो सब बीत जाता है
कभी भी डर के आगे सिर को तुम झुकने नहीं देना

102
न गीतों की न गज़लों की बड़ी मैं कोई ज्ञानी हूँ
मैं अपने दिल के भावों की सरल सीधी रवानी हूँ
नहीं कोई तमन्ना है किसी भी ताज की मुझको
मैं दिल की बात लिखती हूँ मैं अपने दिल की रानी हूँ
101
यहाँ पर लोग भी ऐसे जो करते हैं दिखाते हैं
अगर वो दान करते हैं तो फ़ोटो भी खिंचाते हैं
गरीबी को उघाड़ा करते हैं अपना प्रदर्शन कर
मगर इस कर्म को दरियादिली अपनी बताते हैं
100
क्रिसमस ट्री या तुलसी हो ,ये सब वृक्ष हमारे हैं
पर्यावरण हमारा करते, शुध्द हमेशा सारे हैं
तुम धर्मों की खींच लकीरें,इन पेड़ों को मत बाँटो
मानव जीवन की साँसों के, ये ही सदा सहारे हैं

99
भीतर भरी उदासी लेकिन, बाहर से मुस्काते हैं
चेहरे पर हम ख़ुशी दिखाकर , लोगों को भरमाते हैं
टूट-टूट कर भले हमारी, आँखों में ही ये चुभते
लेकिन सपनों की दुनिया हम, फिर भी रोज़ सजाते हैं
30-11-2022
98
करें प्यार जिससे उसी से शिकायत
बड़ी कब मुहब्बत से कोई इबादत
वो धनवान सबसे बड़ा है जगत में
अगर पास जिसके है चाहत की दौलत.
30-11-2022
97
दीप सब सद्भाव का मिलकर जलाएं
प्रेम से संसार को हम जगमगाएं
घर सजाएं रिश्तों की रंगोलियों से
इस तरह दीपावली हर दिन मनाएं

96
बरस रहे हैं काले मेघा, धरती भी है गीली गीली ।
दिनकर छुपा हुआ बादल में,भोर हुई है सीली सीली
बदली बदली देख फ़िजाएँ मौसम ने भी करवट बदली,
हवा चल रही हौले हौले, मगर लग रही है बर्फीली
09-10-2022

95
जन गण मन हम सबका अपना गान है
यही भजन गुरुवाणी और अज़ान है
नहीं इसे बंटने देंगे हम हिस्सों में
ये हम सबका प्यारा हिंदुस्तान है
14-08-2022
94
जमी थी बर्फ यादों की , उसे पिघला नहीं पायी
हृदय की पीर मैं अपनी तुम्हें बतला नहीं पायी
भले ही वक़्त के सँग- सँग मैं बढ़ती ही गई आगे

मगर ये सत्य है अपना भुला पिछला नहीं पायी
मगर मैं सत्य जीवन का कभी झुठला नहीं पायी
डॉ
93
आँधियों से स्वयं को बचाते रहे
हम अँधेरों में दीपक जलाते रहे
सुन सकोगे हमारी न तुम दास्तां
हर तरह ज़िन्दगी से निभाते रहे
9-08-2022

92
जरूरत पे मुँह को छिपाते नहीं
अकेला कभी छोड़ जाते नहीं
वही मित्र होते हैं सच्चे यहाँ
जो दिल दोस्तों का दुखाते नहीं
7-8-2022

91
पहाड़ ग़म का है भारी उठाऊँ मैं कैसे
बता ऐ ज़िन्दगी तू मुस्कुराऊँ मैं कैसे
न पास सुख की नदी है न चैन का झरना
तो प्यास अपनी बतादे बुझाऊँ मैं कैसे
डॉ
3-08-2022
1212 1122 1212 22

90
उधर बरसता सावन
इधर तड़पता है मन
दिल की धड़कन बोले
आ जाओ अब साजन
डॉ

89
ज़िन्दगी में हर किसी को योग करना चाहिए
दूर तन से और मन से रोग करना चाहिए
इस प्रकृति ने हर किसी को जो दिया संसार में
सोचकर उस वस्तु का उपभोग करना चाहिए
डॉ

88
अपने सम्बन्धों की करते रहे बुनाई
कहीं सिलाई और कहीं पर की तुरपाई
कहीं कहीं पर तार तार जब होते देखा
जान सके तब इस जीवन की हम सच्चाई
9-06-2022

87
मन के अंदर ही बसा, अभिलाषा का गाँव
जहाँ दुखों की धूप है, और सुखों की छाँव
इच्छाओं का ‘अर्चना ,कभी न होता अंत
भागा भागा मन फिरे,मिले न फिर भी ठाँव

86
अभिलाषाएं ही जीवन में, खुशियाँ लेकर आती हैं
ये हम को जीवन जीने का, मकसद देकर जाती हैं
लेकिन बहुत जरूरी होता, मन का संतोषी होना
वरना इक दिन हावी होकर, हमको बहुत सताती हैं
85
सजायीं महफिलें हमने, मिला हमको अकेलापन
हुये न फूल भी अपने, कटा काँटों में ही जीवन
गलत हम थे गलत हम हैं, सही हम हो नहीं सकते
तभी अपनों ने ठुकराया, सदा खाली रहा दामन

84
रोज हम इम्तिहां दे सकेंगे नहीं
वक़्त तेरे सितम हम सहेंगे नहीं
ज़िन्दगी हमसे हर बार कहती रही
थक गये ये कदम अब चलेंगे नहीं
3-06-2022

83
दिया दुआओं का है जलाती, ग़मों के तम से बचाती है माँ
आशीषों का दीप है जलाती, दुखों के तम से बचाती है माँ
नज़र का टीका लगा लगा कर, बुरी बलायें भगाती है माँ
सृजन करे सृष्टि का जगत में नहीं कोई भी है माँ के जैसा
बिना बताये ही बात दिल की हमारी सब जान जाती है माँ
28-05-2022

82
इस मन के कोरे कागज पर, तुमने अंकित प्यार किया
मेरी खाली झोली में भर , खुशियों का अम्बार दिया
समा गये आँखों में ऐसे , बस तुम ही तुम दिखते हो
मेरे दिल की धड़कन भी अब,हर दम बोले पिया पिया
डॉ
81
महकते कागजों के फूल देखे हैं
घरों को भी सजाते शूल देखे हैं
नहीं कुछ भी पता इस ज़िन्दगी का है
यहाँ होते सितारे धूल देखे हैं

80
रखी है ओढ़नी सिर पर बुजुर्गों की दुआओं की
हमें छू भी सकें आकर न हिम्मत है बलाओं की
हमारी ज़िन्दगी में ये खड़े रहते हैं बरगद से
न चिंता मेघ की हमको न ही तपती हवाओं की
22-05-2022

79
तुम्हारी साँस चलने से हमारी साँस है चलती
तुम्हारे ही सहारे तो हमारी आस है पलती
हुये मजबूर दिल से हम जो तुमसे प्यार कर बैठे
गये तुम दूर क्या हमसे तुम्हारी ही कमी खलती
22-05-2022
78
संस्कारों से सिंचित होकर , बढ़ता है परिवार
और बाँधकर इक डोरी में,रखता सबको प्यार
रिश्ते – नाते तो जीवन में , होते हैं अनमोल
इनसे ही मिलता है हमको, खुशियों का संसार
15-05-2022

77
सिखलाती है सत्य बोलना, झूठ बोलती खुद रहती
बच्चों के हित के खातिर माँ , नई कहानी नित क हती
कितना प्यारा रिश्ता होता है माँ का बच्चों के सँग
अपनों की खुशहाली को वह ,जग के सारे दुख सहती
76
भोर सुनहरी रात रुपहली, जीवन की हरियाली माँ
पीती खुद ग़म की हरप्याली,घर लाती खुशहाली माँ
माँ से ही घर घर लगता है,माँ बिन रहता सूनापन
आँगन की तुलसी, रंगोली, है होली दीवाली माँ

75
हमारे दिल में आशा का नया सूरज उगाती है
कवच बनकर हमें माँ ही बलाओं से बचाती है
सतत सन्तान के सुख को बढ़ाने में लगी रहती
जहाँ काँटे बिछे दिखते वहाँ आँचल बिछाती है

74
नाम डर का ह्रदय से मिटा दीजिये
ज़ख़्म की आप हँसकर दवा कीजिये
ज़िन्दगी के लिये बस किसी भी तरह
मुस्कुराहट को अपनी बचा लीजिये

73नवदुर्गा
1
पर्वतराज हिमालय केघर, पुत्री बनकर जन्म लिया
और शैल पुत्री भी इनको, तभी जगत ने नाम दिया
हर नवदुर्गाओं में पहली , ये दुर्गा कहलाती हैं
इनकी पूजा चन्द्र कष्ट से, मुक्ति हमें दिलवाती है

72
रीत सनातन धर्म की, सिखलाती संस्कार
नवसंवत्सर का करें, हम स्वागत सत्कार
देकर मंगल कामना, भेजें शुभ सन्देश
अपनाये हम संस्कृति, करें देश से प्यार
71
आओ विश्व रंगमंच दिवस, मिलकर सभी मनायें
कलाकार की कद्र करें, उसका मान बढायें
करें मनोरंजन ये सबका, अपना हुनर दिखाकर
तो हम भी किरदार हमारा, अच्छी तरह निभायें
70
आज़ादी के दीवानों को, भूल नहीं हम पाते हैं।
सोच सोच कर वो मंजर, आँखों में आँसू आते हैं।
हँसते हँसते जान जिन्होंने, भारत माँ पर कर डाली
उन वीरों को श्रद्धा से हम,अपने शीश नवाते हैं

69
आज विश्व कविता दिवस है ……

कविता भावों की बहती सरिता है
दर्द की दवा है दिल की वनिता है
मुझमें रहती है यूँ ऐसा लगता है
कविता में मैं हूँ मुझमें कविता है

डॉ अर्चना गुप्ता
68
तुम्हारा नाम सुनते ही गुलाबी गाल जाता
अगर तुम सामने आते, शरम से लाल हो जाता
जरा सा पास तुम आकर ,पकड़ लेते अगर बैंया
अजी मत पूछिए दिल का, बुरा क्या हाल हो जाता
18-03-2022

67
प्यार की कह रही है कहानी नई
अधखुले से नयन की जुबानी नई
खिल रही है अधर पर सजीली हँसी
लग रहा मिल गयी जिंदगानी नई

66
अधखुले से नयन की अजब बात है
प्यार की प्यार से अब मुलाकात है
सज रही है अधर पर नशीली हँसी
लग रहा आज इनकी मिलन रात है
डॉ

65
दक्ष पिता की राजकुमारी, शिव शंकर की हुई दिवानी
बनी संगिनी युगों युगों की ,घड़ी सुखद है आज सुहानी
मंगल पावन है शिवरात्रि , घर परिवार सभी मिल गाते
शिव गौरा से हुई जगत में, परिवारों की शुरू कहानी
64
नील कंठ ,शिव बन गये,कर के विष का पान
ये तो भोले नाथ हैं, दे देते वरदान
हो जाते हैं यदि कुपित, करते तांडव नृत्य
पर प्रतिपालक शिव करें, सदा लोक कल्यान

63
वो एक नदी बनकर, चुपचाप बही बरसों
वो वक्त के साँचे में, खामोश ढली बरसों
ये त्याग समर्पण की, नारी की कहानी है
फूलों को बचाने में, खारों में रही बरसों
है’अर्चना’कुछ किस्मत,कुछ बदला ज़माना है
नारी की चलेगी अब, पुरुषों की चली बरसों

62
तेरी यादों से जीवन भर, मैंने है शृंगार किया
खुशियाँ लेकर उनसे दिल की , ये जीवन गुलजार किया
तेरी चाहत की दौलत से, रहती सदा अमीरी में
मैंने मीठी यादों चुनकर, रंग महल तैयार किया
24-02-2022
61
एक म्यान में कितनी सारी,वो तलवारे रख लेते हैं
और जेब में अलग अलग वो, देखो चारे रख लेते हैं
कहते रहते यूँ तो सबसे,अपने को नादान बहुत ही
अपनी बातों से सबका दिल, वो बेचारे रख लेते हैं

60
धोती कुर्ता सर पर टोपी, नेता की पहचान
अपनी जेबों को भरने का इनको आता ज्ञान
बातों में तो खूब झलकती , वादों की भरमार
नहीं देश की चिंता इनको, बस पैसा ईमान
59
हर ओर ही नेताओ का चर्चा है आजकल
हाथों में इनके वादों का पर्चा है आजकल
कुर्सी दिखा रही इन्हें सपने बड़े – बड़े
फिलहाल हो रहा बड़ा खर्चा है आजकल

58
कुछ ही पल की मिले पर खुशी तो मिले
जुगनुओं की सही रोशनी तो मिले
पाँव चादर के’ जितने ही फैलाएंगे
पर हमें कोई चादर सही तो मिले
21-02-2022

57
आता वक़्त पुराना वापस , उसको बाहों में भर लेती
खूब भिगोती तन को अपने,मन को भी मैं तर कर लेती
पाठ पढ़ाये हैं जीवन ने, अनगिन पढ़े किताबों में भी
हुआ गलत जो भी अब तक है, ठीक उसे भी मैं कर लेती
11-02-2022

56
22-01-2022
तितली रंगबिरंगी जिसके , रंग लगें सब अच्छे हैं
फूलों से सम्बन्ध हमेशा , उसके रहते सच्चे हैं
भँवरा तो गुनगुन गुनगुन कर , कितना शोर मचाता है
तितली के चुप रहने पर भी , जग में ज्यादा चरचे हैं
रखी है ओढ़नी सिर पर बुजुर्गों की दुआओं की
हमें छू भी सकें आकर न हिम्मत है बलाओं की
हमारी ज़िन्दगी में ये खड़े रहते हैं बरगद से
न चिंता मेघ की हमको न ही तपती हवाओं की

डॉ

09-1-2022
55
नहीं सच बात कहने से कभी यारों मैं डरती हूँ
जिसे स्वीकार करता दिल वही मैं बात करती हूँ
यही है आरजू मेरी बनूँ इंसान मैं सच्ची *
वतन से प्यार करती हूँ वतन पर अपने मरती हूँ
54
कहानी ज़िन्दगी की कुछ अधूरी रह ही जाती हैं
कहाँ सब हसरतें दिल की यहाँ हो पूर्ण पाती हैं
लकीरों में लिखा है जो वही बस ज़िन्दगी देती
सदायें भी मुहब्बत की वहाँ से लौट आती हैं
53
नहीं दो नाव में रख पांव चलना चाहिये देखो
विचारे बिन न कोई काम करना चाहिये देखो
ये दिल तो है बहुत पागल समझता ही नहीं कुछ है
अगर ठोकर मिले फिर तो संभलना चाहिए देखो
52
दिल से हम दिल मिलाना नहीं चाहते
फिर से बनना दिवाना नहीं चाहते
याद अब भी हमें ज़िन्दगी के सबक
गलतियाँ दोहराना नहीं चाहते

11-12-2021
51
हो गया घर मकान क्यों है अब
सिर्फ अपना बखान क्यों है अब
चीर देती कलेजा अपनो का
इतनी कड़वी जुबान क्यों हैअब

50
सदा फ़र्ज़ अपना निबाहा है हमने
दिया तूने जो भी सराहा है हमने
पता है हमें तू बहुत बेवफा है
मगर ज़िन्दगी तुझको चाहा है हमने

49
खिला ही प्यार से रहता है इस तरह ये मन
बहार ले के चला आता जिस तरह सावन
न टूट सकता वो रिश्ता जुड़ा हो जो दिल से
सुमन-सुगन्ध के जैसा अटूट ये बंधन

48
फूल को खुशबू से उसकी, कर अलग सकते नहीं
स्वप्न आँखों के अलावा तो कहीं पलते नहीं
दर्द रहते हैं दिलों में अश्रु से अनुबंध कर
ये न हों तो कल्पना में गीत भी सजते नहीं

47
काँटों में भी गुलाब हँसते है
ये हुनर हम जनाब रखते हैं
अपने दिल को दबा दबा कर हम
आँसुओं पर नकाब करते हैं
27-11-2021

46
नैनों में तारों से झिलमिलाते हो तुम
तो कभी दीप से जगमगाते हो तुम
इस तरह बन गये हो मेरी ज़िन्दगी
भावों में गीत बन गुनगुनाते हो तुम
1-11-2021

45
मधुर हो जाते छोटी-मोटी सी तकरार से रिश्ते
हो जाते और भी प्यारे जरा मनुहार से रिश्ते
हमारी ज़िंदगी में ये बड़े अनमोल होते हैं
कहीं ये गुम न हो जायें सहेजो प्यार से रिश्ते
26-9-2021

44
अभियंता दिवस की हार्दिक बधाई 💐💐💐💐
जन जीवन आसान बनाया
नभ से धरती को मिलवाया
बड़े बड़े कामों को करके
अभियंताओं ने दिखलाया
15-09-२०२१

43
भिन्न भिन्न भाषाओं के ये, शब्दों को अपनाती है
मात समान दुलार करे संस्कारों को सिखलाती है
सीधी सादी भोली भाली भारत की बोली हिंदी
बैर भाव से दूर खड़ी बस प्यार बांटती जाती है

42
मेरे सारे गीत सहारे बन जाएंगे
मन के सच्चे मीत तुम्हारे बन जाएंगे
नहीं डूबने देंगे के गम के सागर में
जब होगे मझदार, किनारे बन जाएंगे
4।9।2021

41
2-9-2021

साँझ घिरेगी धीरे धीरे, भोर सदा कब रह पाएगी
हर बहार अपनी बगिया में , पतझड़ भी लेकर आएगी
जैसे फूलों को खिलने पर, मुरझाना भी तो पड़ता है
वैसे ही जीवन में आकर , मौत गले खुद लग जाएगी

40
18-08-2021
कब नदी रह सकी है बिना कूल के
कब है मंज़िल मिली राह को भूल के
हार बिन है नहीं जीत का मोल कुछ
फूल भी कब खिला है बिना शूल के
डॉ

17-08-2021

39
उड़ता रहता नील गगन में , एक परिंदे जैसा मन
कैद कफ़स में होकर भी तन,पकड़े आशा का दामन
विश्वास स्वयं पर है मुझको , द्वार प्रगति का खोलूंगी
उड़कर ऊँचे आसमान को ,कर लूँगी अपना आँगन

38
राहों में अवरोध मिले तो , उससे मत घबरा जाना
कहीं शूल तो कहीं मिलेगा,फूलों का भी नज़राना
हम तो यहाँ कर्मयोगी हैं, चलना काम हमारा बस
छोड़ यहीं सब जाना है जब,फिर क्या खोना क्या पाना

37
हाथों में बनी हुई रेखा
किस्मत का उसमें सब लेखा
दिखता है उसको वैसा ही
जिसने जिसको जैसा देखा

36
भारत माँ के वीर सपूतों , जग में मान बढ़ाया है
खून बहाकर तुमने अपना ,हम पर कर्ज़ चढ़ाया है
मान तिरंगे का रखने को ,हँसकर प्राण लुटा डाले
देश प्रेम का अद्भुत तुमने ,सब को पाठ पढ़ाया है
16-08-2021

35
मैं आँखों में स्वप्न सजाकर ,नई कहानी लिखती हूँ
नित्य हौसलों के पंखों से ,खूब उड़ाने भरती हूँ
13-08-2021
काट रही मैं नारी अपने , पाँवों की ज़जीरों को
सपनों को सच करने का मैं हुनर पास में रखती हूँ

34
होंठ सिलकर ज़िन्दगी को जिसको जीना आ गया
मुस्कुराकर इस जगत में दर्द पीना आ गया
पाठ भी इंसानियत का पढ़ लिया जिसने यहाँ
तो समझ लो उसको जीने का करीना आ गया
3-8-2021

33
मत विरह की बात करना ये सहा न जाएगा
बिन तुम्हारे एक पल हमसे रहा न जाएगा
मुस्कुराना तो पड़ेगा इस ज़माने के लिए
हाल दिल का पर किसी से भी कहा न जाएगा

32
बात दिल की जरा सुनाने दो
बोझ थोड़ा सा तो हटाने दो
रोकना अब नहीं उन्हें कोई
उनको जी भर के आजमाने दो

31
साथ तेरे बता रहूँ कैसे
सारे बंधन भी जोड़ दूँ कैसे
मेरी किस्मत में जब लिखा ही नहीं
तुझको रब से मैं छीन लूँ कैसे
11.5.2021

30
जबसे मुख हमसे तुमने मोड़ा है
हर तरह से ही हमको तोड़ा है
हाल अब हो गया हमारा ये
हमने विश्वास करना छोड़ा है

08-4-2021
29
किसी के इतने मत होना
पड़े फिर बाद में रोना
यहाँ पर नकली हैं आँसू
न उनमें डूब कर खोना

28
किया जो प्यार उसे फिर निभाना पड़ता है
क्यों बार बार तुम्हें ये बताना पड़ता है
जी जान से ही अगर कोई भी हमें चाहे
भरोसा टूटने से भी बचाना पड़ता है

27
तुम्हारी याद आकर जब कभी भी थपथपाती है
बदलती करवटें रहती नहीं फिर नींद आती है
बरसती रहती ये आँखें तड़पता रहता है ये दिल
लगे तन्हाइयों में मेरी आ बरसात जाती है

26
प्रताड़ित जो मुझे अबला समझ दिन रात करते हैं
वो ममता को मेरी कमजोरियां शायद समझते हैं
किया मजबूत अब दिल को कि मैं अब आज की नारी
तनिक भी हौसले मेरे डिगा अब वो न सकते हैं

25
नदी की धार के जैसे सतत निष्काम बहती हूँ
बंधी ममता के बंधन में खुशी से अपनी रहती हूँ
मैं नारी हूँ मेरा तो काम ही देखो सृजन करना
मगर होती दुखी जब उनसे ही अपमान सहती हूँ

24
फूल जैसे तुम अगर तो मैं भी खुशबू हूँ तुम्हारी
चाँद की है चाँदनी सँग,वैसी ही जोड़ी हमारी
साथ तो अपना ऐ साथी जन्मों जन्मों का हमारा
हो जुदा सकती नहीं हम, रुह की रुह से अपनी यारी

23
सुमन बन खुशबुएं अपनी लुटाना जानते हैं हम
मगर शूलों से भी यारी निभाना जानते हैं हम
हमारी चुप से मत कमजोर हमको तुम समझ लेना
कि सच क्या आइने को भी दिखाना जानते हैं हम

04-03-2021
22
सामान समेत सभी अपना घर लौटे हेमंत
धरती नभ दोनों पर छाए, जो ऋतुराज बसंत
मादक के फूलों की खुशबू, मन भी है मदहोश
वन, उपवन की शोभा देखो सजे हैं दिग-दिगन्त

21
है धरोहर हमारी धरा ये गगन
देश के प्रेम की दिल में सबके अगन
बिखरे रहते यहाँ पर विविध रंग हैं
सबसे अच्छा जगत में हमारा वतन

20
मंदिर मस्जिद में बांटे जो, मन के वो दरवाजे खोलो
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई, मजहब में मत खुद को तोलो
प्यार करो अपनी माटी से, छोड़ो राजनीति की बातें,
सबसे पहले भारतीय हम ,भारत माता की जय बोलो

19
तन का तनना,मन का मनना, होती आदत है
तन का तपना, मन का दुखना, करता आहत है
तन नश्वर है मन चंचल है ,इन पर जोर नहीं
तन स्वस्थ हो मन स्वच्छ तो, मिलती राहत है

18
नैन के दीप जलते रहते हैं
अश्क चुपचाप बहते रहते हैं
आती हर वक़्त हिचकियाँ रहतीं
वो हमें याद करते रहते हैं

17
फूल के सँग शूल की होती चुभन भी
देखता है रूप पतझड़ का चमन भी
सीखने होंगे हमें गुर ज़िन्दगी के
सुख अगर है तो यहाँ दुख के चलन भी

16
पक्षी व्याकुल प्यास से,मिला नहीं पर नीर
ये किससे जाकर कहें,अपने मन की पीर
जल संरक्षण का हमें, रखना होगा ध्यान
जल से ही संसार है, जल से ही ये जान

15
पूछ मत मैं जा रहा हूँ साथ क्या ले जाऊँगा
तेरी यादों का बड़ा सा काफिला ले जाऊँगा
सोचता दिन रात मैं भी तेरे बारे में यही
क्या करेगी तू तेरा जब दिल चुरा ले जाऊँगा

14
बिच्छू भी काटे अगर, बच जाती है जान
मगर नहीं उपचार है, काटे गर इंसान
मानवता का हो रहा, दिन प्रतिदिन यूँ ह्रास
मुश्किल दुश्मन मीत की,अब करनी पहचान

13
दीप जलें खुशियों के इतने, रात न कोई काली हो
गम की पड़े न परछाई भी, हर सूँ बस खुशहाली हो
घर में लक्ष्मी मात विराजें, और शारदा माँ मन में
जगमग जगमग हो ये जीवन, सबकी शुभ दीवाली हो

12
मापनी– 221 1222 221 1222

इस प्रेम कहानी का ,उद्गार तुम्हीं तो हो
जीवन की इमारत का ,आधार तुम्हीं तो हो
परछाई मेरी बनकर ,तुम साथ सदा रहना
है सत्य यही मेरा ,संसार तुम्हीं तो हो

11
आना है इसको आएगा, आने वाला कल
आकर फिर कल बन जायेगा, आने वाला कल भरी हुई सुख दुख से रहती, उसकी तो झोली
किसे पता पर क्या लाएगा , आने वाला कल

10
दिये जो ज़ख्म हैं तुमने हरे से रहते हैं
सदा जो अश्क़ नयन में भरे से रहते हैं
थमा है आज तलक सिलसिला नहीं इनका
तभी तो मिलने पे तुमसे डरे से रहते हैं
9
बस तेरे प्यार से दिल ये आबाद है
इसमें रहती सदा तेरी ही याद है
अब तो आ जाओ इतना सताओ नहीं
साथ तेरे मेरी ज़िंदगी शाद है
8
नफरत से कितने ही रिश्ते छूटे हैं
लेकिन हम तो अपनेपन से टूटे हैं
कोई भी हो वजह मगर इस दुनिया में
किस्मत पर ही सदा ठीकरे फूटे हैं

7
पसीने से ये अपनेअन्न धरती पर उगाता है
कृषक ही इस धरा पर हम सभी का अन्नदाता है
किसानों की बदौलत ही हमारा देश कृषि उन्नत
सियासत खेलना इन पर नहीं हमको सुहाता है

6
धुंध जीवन पे छाने लगी है
धुंधला सब दिखाने लगी है
उम्र भी हाथ अपने बढ़ाकर
ज़िन्दगी से मिलाने लगी है
5
दिन सूरज जैसा कनक, रजत चाँद सी रात
हो जीवन में आपके,प्यार भरी बरसात
पाँवों को धरती मिले, सपनों को आकाश
जीवन में मिलती रहे, खुशियों की सौगात

4
सर्दी के आतंक से, कांप रहे सब अंग
अकड़े ऐसे जा रहे, लगी हुई ज्यूँ जंग
कुहरे की भी पढ़ रही, बड़ी भयंकर मार
दिनकर भी नखरे दिखा,खूब कर रहे तंग
3
कहीं छोटा कहीं लंबा तमाशा ज़िन्दगी ये
डुबोती तारती लगती विपाशा ज़िन्दगी ये
यहाँ पर मोड़ सीधे टेढ़े मेढ़े हर तरह के
दिखाती है निराशा में भी आशा ज़िन्दगी ये
2
21-12-2020
पलते पलते वृद्ध हो गये दिल के सपने
दरवाजे थे बन्द लगी दीमक सी लगने
चला मुसलसल वक़्त कहीं भी रुका ही नहीं
हुये अकेले दूर हो गये जो थे अपने
1
हम कहें कुछ तो लगे तुमको बहाना
हमको आता ही नहीं बातें बनाना
जीतना हम चाहते तुमसे नहीं हैं
इसलिये आता नहीं हमको हराना

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