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29 Jun 2023 · 1 min read

उगाएँ प्रेम की फसलें, बढ़ाएँ खूब फुलवारी।

उगाएँ प्रेम की फसलें, बढ़ाएँ खूब फुलवारी।
करें हम नेह पौधों से, हँसे वो मार किलकारी।
खिलें आँगन खिलें उपवन,खिलें मुखड़े खिले जीवन,
चतुर्दिक रस विकीरित हो,फलित हों कामना सारी।

© सीमा अग्रवाल

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