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29 Jun 2023 · 1 min read

भूल जा इस ज़माने को

आगे बढ़ो तुम,भूल कर इस ज़माने को ।
चलते चलो तुम, मंजिल नयी पाने को।

माना बहुत सी रंजिशें हैं इस ज़माने से
भूल जाओ, सोचो किस्मत आजमाने को।

दोनों तरफ दांत है , ज़माने की आरी के
मुश्किल है बचना, ये तैयार काट खाने को।

बन जाओ बहरे, ग़र बढ़ना है तुम्हे आगे
कोई नहीं रुकता यहां,साथ निभाने को।

ग़म ही ग़म सिर्फ दिये है इस ज़माने ने
देख नये फूल खिले हैं,तेरी राह सजाने को।

सुरिंदर कौर

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