कर दो बहाल पुरानी पेंशन

(शेर)- वक़्त है अभी वक़्त पर, दीजिए इस पर ध्यान।
करके बहाल पुरानी पेंशन, लौटा दो हमारा सम्मान।।
नहीं रहेगा वरना कल, तुम्हारा वक़्त और यह ताज।
तोड़ देंगे हम कल वोट से, तुम्हारी सत्ता का अभिमान।।
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तुमसे यही गुजारिश है, कर दो बहाल पुरानी पेंशन।
तुम्हारी तरहां ही हमारे लिए, जरूरी है पुरानी पेंशन।।
तुमसे यही गुजारिश है —————————-।।
हमारा भी तो अधिकार है, हम भी जीये सुविधा में।
नई पेंशन से लेकिन अब, हम है बहुत ही दुविधा में।।
बुढ़ापे का नहीं है सहारा, यह लागू हुई नई पेंशन।
तुम्हारी तरहां ही हमारे लिए, जरूरी है पुरानी पेंशन।।
तुमसे यही गुजारिश है ————————-।।
रेवड़ी नहीं है यह पेंशन, यह जमा पूंजी हमारी है।
इसी पेंशन के लिए ही, आत्मा तड़पती तुम्हारी है।।
तुम तो पाते हो दो या तीन, सच में पुरानी पेंशन।
तुम्हारी तरहां ही हमारे लिए, जरूरी है पुरानी पेंशन।।
तुमसे यही गुजारिश है ————————–।।
देंगे जो भी यह पुरानी पेंशन, वोट हम उसी को देंगे।
पुरानी पेंशन के विरोधी की, सरकार नहीं बनने देंगे।।
दम लेंगे हम अब तो लेकर, सच यह पुरानी पेंशन।
तुम्हारी तरहां ही हमारे लिए, जरूरी है पुरानी पेंशन।।
तुमसे यही गुजारिश है——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)