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26 Jun 2023 · 1 min read

नशा

अच्छों अच्छों को बिगाड़ देता है नशा।
बसे बसाए घर को उजाड़ देता है नशा।।

घर के बर्तन तक बिकवा देता है नशा।
पति पत्नि में झगड़ा करा देता है नशा।।

शराब का नशा हो या कोई और नशा।
सम्पन्न को भिखारी बना देता है नशा।।

बुरी संगत को भी न्योता देता है नशा।
दोनो हाथों में कटोरा दे देता है नशा।।

हर तरह की बीमारी लगा देता है नशा।
जल्दी मरघट की ओर ले जाता है नशा।।

गंदी नाली का पानी पिला देता है नशा।
पत्नि के गहने तक बिकवा देता है नशा।।

अगर अच्छा जीना है छोड़ो दो हर नशा।
लो आज से प्रण कभी करेंगे न हम नशा।।

रस्तोगी को भी हो गया है लिखने का नशा।
क्लम कागज कविता करवाती है उसे नशा।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

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