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26 Jun 2023 · 1 min read

*कैसे भूले देश यह, तानाशाही-काल (कुंडलिया)*

कैसे भूले देश यह, तानाशाही-काल (कुंडलिया)

कैसे भूले देश यह, तानाशाही-काल
लगी इमरजेंसी कुटिल, चलती चाबुक-चाल
चलती चाबुक-चाल, हुआ जनतंत्र नदारत
मनमानी का खेल, देखता कातर भारत
कहते रवि कविराय, देश कारागृह-जैसे
तंत्र निरंकुश घोर, दमन थे कैसे-कैसे

कातर = भयभीत

रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

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