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25 Jun 2023 · 1 min read

कुत्तज़िन्दगी / Musafir baithA

एक छोटे से मंदिर के अहाते में
रोज आती थी एक भिखारन
भक्तों के दान पुण्य की रहम पर
पलता था उसका पेट

एक कुत्ता भी हर रोज बिन नागा किए
आता था वहां एक खास समय
आरती की घंटी बजते ही

पुजारी को कोई दैव शक्ति
दिखी गई उस महादेववाहन वंशज में
और कुछ भक्तों को भी

मंदिर में होने लगी
अब उस कुत्ते की पूजा

उस कुक्कुर की जिन्दगी दैव योग से
हो गयी सामान्य व्यक्ति से अधिक सम्मानित
और उस भिखारन का अस्मिताविहीन जीवन
रहा वैसे ही दैव और भगत भरोसे
जैसे हो कोई अदना कुत्ते की जिन्दगी ।

महाशिवरात्रि 2008

Language: Hindi
218 Views
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